खेतो मैं खुलेआम जल रही धान की पराली, कृषक नियमो से कर रहे खिलवाड़

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद- बहोरीबंद विकासखण्ड क्षेत्र मे खरीफ सीजन के बाद रबी सीजन की खेती का दौर शुरू हो गया है।कृषको खेतो को तैयार कर रहे है।लेकिन खेतों को तैयार करने कृषक खेतो में फसल काटने के बाद खेत में आग लगाकर नरवाई अर्थात् पराली जला रहे है ।जिससे पर्यावरण प्रदूषण व मिट्टी की उर्वरा शक्ति खराब हो रही है।शासन द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की उपधारा 30 के तहत नरवाई जलाने पर रोक लगाई गई है । लेकिन बहोरीबंद विकासखण्ड के कृषक अपने खेतों में आग लगाकर गेहूं, चने की बोवनी के लिए खेत जलाकर तैयार कर रहे हैं। धान कटने के बाद यह क्रम जोरों से आरंभ हो गया है। रोज जगह जगह खेतों से उठते धुंए एवं आग की लपटों से इसे आसानी से समझा जा सकता है।बहोरीबंद विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम स्लीमनाबाद, तिहारी, जुजावल,पड़वार,छपरा मैं मंगलवार को कृषको ने खेतो मैं पराली जलाई।जिससे धुंए से चारों ओर धुंध छाई रही।जबकि अभी तो यह धान की फसल की कटाई शुरू हुई है अभी तो जैसे जैसे तीव्र गति से धान कटाई का कार्य बढ़ेगा पराली जलाने का क्रम भी तीव्र होगा!जबकि फसलों के छूटे अवशेषों को नष्ट करने के लिए कई आधुनिक उपकरण आ गए हैं। इसके बावजूद किसान नरवाई जलाकर ही खेत साफ कर रहे है। जिससे पर्यावरण तो दूषित होता ही है, खेतों के मित्र कीट भी नष्ट होते हैं।
इनका कहना है– आर के चतुर्वेदी एसएडीओ कृषि विभाग बहोरीबंद

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कृषको को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।फिर भी यदि कृषक नही मान रहे है तो निरीक्षण कर उनके खिलाफ कारवाई की जावेगी।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 व 60 के तहत दण्डात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।

 

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