खराब हाईवे पर टोल वसूली कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा रहा एनएचएआई, कैट

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राजेश मदान बैतूल। राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन का जिम्मा संभालने वाला भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम अवहेलना कर रहा है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रचार सचिव राजेश मदान ने कहा कि हाल ही में देश की शीर्ष अदालत ने आम जनता से जुड़े एक अहम आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिति खराब है तो यात्रियों को टोल टैक्स चुकाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अफसोस जताते हुए कहा कि एक नागरिक जिसने पहले ही सड़क उपयोग के लिए मोटर वाहन टैक्स जमा किया है, उसे खराब सड़क पर गाड़ी चलाने के बावजूद टोल चुकाना अन्यायपूर्ण है।कैट बैतूल के जिलाध्यक्ष मनोज भार्गव ने कहा कि एनएचएआइ सबसे पहले खराब हो चुके हाईवे की मरम्मत करे और उसका उचित रखरखाव सुनिश्चित करे, उसके बाद ही टोल वसूली की जाए। यह न केवल सुप्रीम कोर्ट का आदेश है बल्कि आम नागरिकों और व्यापारियों की भी यही मांग है। उन्होंने कहा कि बैतूल जिले में हाईवे की हालत बेहद बदतर है, इसके बावजूद टोल टैक्स वसूला जा रहा है जो कि उचित नहीं है। इस विषय में ध्यान आकर्षित कराने के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उइके को शीघ्र ही ज्ञापन सौंपा जाएगा।राजेश मदान ने बताया कि देश के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें त्रिशूर जिले के पलियेक्कारा टोल प्लाजा पर सड़क खराब होने के कारण टोल वसूली निलंबित कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने एनएचएआइ और टोल वसूली करने वाली कंपनी की अपील को खारिज कर दिया। अदालत ने साफ कहा कि टोल टैक्स भरने वाले नागरिकों को अच्छी सड़कों की मांग करने का पूरा अधिकार है और खराब सड़कों पर टोल वसूली किसी भी तरह से जायज नहीं है।


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