हिन्दू नए वर्ष के साथ प्रकृति ने बदला अपना स्वरूप,विक्रम सवंत 2082 नव वर्ष के साथ चैत्र नवरात्रि की धूम 

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Hindu New Year 2082:कोयल की कूक से और नए पुष्पो की सुगंध लोगों को प्रकृति के बेहद करीब ले जा रही है गौरतलब है की चैत्र मास आते ही पेड़ो में नए पत्तो के साथ पेड़ो में नए फूल खिलना चारों तरफ हरियाली का आ जाना मानों प्रकृति भी नव वर्ष मना रही हो यदि देखा जाये तो इस नव वर्ष के सुरु होते ही सब कुछ नया हो जाता है स्कूलों के रिजल्ट के साथ नए सत्र की सुरुवात होती है तो बैंको में क्लोजिंग खत्म कर नया खाता बही खोले जाते है वहीँ देखा जाये तो जनवरी में तो कलेंडर बदलता है लेकिन इस महीने तो पूरा पंचांग ही बदल जाता है वो पंचांग जिसके अनुसार लोग शादी विवाह जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते है।

क्या है हिन्दू नव वर्ष का इतिहास ?

यदि इतिहासिक और पौराणिक द्रष्टी से देखा जाये तो इस दिन ही ब्रम्हा जी ने नई सृष्टी का निर्माण किया था वहीँ इसी दिन राजा विक्रमादित्य द्वारा विक्रम सवंत की सुरुवात की गई थी इसी दिन सिंधियों के भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था जिसको लेकर आज भी सिंधी समाज चेटीचंड महोत्सव मनाता है,इस दिन ब्रहांड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा मौषम फसल बिद्यार्थियों की नई कक्षा मनुष्य में नया रक्त संचार आदि परिवर्तन होते है जो की विज्ञान आधारित है।

नव वर्ष के साथ चैत्र नवरात्रि की चहूँ और धूम

आज से विक्रम सवंत 2082 हिन्दू नव वर्ष की सुरुवात के साथ चैत्र नवरात्रि की चहूँ और धूम मची हुई है चैत्र नवरात्रि को देखते हुए मंदिरो में विशेष साज सज्जा की गई है बैठकी के दिन से लेकर नवमी तक माता के मंदिरो में भक्तों की कतार लगी रहेगी वहीँ माता के मंदिरो में आज कलश स्थापित कर ज्वारे बोये जाएंगे।

 

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