घर -घर जगमगाएंगे दीप मंदिरों मे होगा दीपदान,धूमधाम से मनेगी देव दीवाली

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद- कार्तिक मास का समापन आज 15 नवंबर को होगा!कार्तिक पूर्णिमा के लिए स्लीमनाबाद के सिंहवाहिनी रसिक बिहारी जू मंदिर मे एक माह से चल रहे कार्तिक उत्सव का समापन होगा!वही जगदीश धाम खिरहनी, लघु वृंदावन धाम बाँधा व हरिदास ब्रजधाम कोहका मे विशेष तैयारियां की जा रही है!पंडित रमाकांत पौराणिक ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर रात के समय गजकेसरी राजयोग का निर्माण होगा!इसके अतिरिक्त, बुधादित्य राजयोग भी इस दिन बनेगा! विशेष रूप से 30 वर्षों के बाद कार्तिक पूर्णिमा पर शश राजयोग का भी निर्माण हो रहा है!क्योंकि अगले 30 वर्षों तक शनि कुंभ राशि में गोचर नहीं करेंगे! इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा पर किए गए उपाय और दान पुण्य के कार्यों का फल 100 गुना अधिक प्राप्त होगा!पूर्णिमा पर बन रहा यह संयोग सुखद व शुभफलदायी होगा!कार्तिक मास की पूर्णिमा की एक अलग मान्यता है। इस पूर्णिमा तिथि के दिन देव दीपावली का उत्सव भी मनाया जाता है।कार्तिक मास भगवान विष्णु को विशेष रूप से प्रिय है!भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी व लाभकारी होती है!

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मत्स्य अवतार मे भगवान विष्णु करते है जल मे निवास –
पंडित दिलीप पौराणिक ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है। देव दिवाली को देवताओं के दीवाली के उत्सव के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के अंत की खुशी में देवताओं ने संपूर्ण स्वर्गलोक को दीयों से प्रकाशित किया था, जिसे दीपावली का रूप दे दिया गया। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को  त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है।साथ ही कार्तिक पूर्णिमा पर ही भगवान विष्णु ने जल प्रलय के दौरान मत्स्यावतार लिया था ओर संसार की रक्षा की थी!
जो भगवान का पहला अवतार माना जाता है!

हरि-हर का हुआ मिलन,56 भोग किये गए अर्पित-
पवित्र कार्तिक मास चल रहा है ।जहां स्लीमनाबाद मैं भोर होते ही कार्तिक व्रतधारी महिलाओं के कार्तिक गीतों की गुंजायमान हो रही है।प्रतिदिन प्रत्येक कार्तिक व्रतधारी महिलाओं के घर विशेष पूजा अर्चना का क्रम चल रहा है।
गुरुवार को बैकुंठ चर्तुदशी पर हरि-हर का मिलन मनाया गया।
महिलाओं ने पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की। व्रती महिलांए समूह बनाकर सुबह से ही स्नान कर सिंहवाहिनी रसिक बिहारी जू मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना प्रारंभ की। इस दौरान महिलाएं माता यशोदा के रूप में सोलह श्रंगार कर अपने-अपने घरों से भोग प्रसाद बनाकर साथ लाईं हुई थी। चौक बनाकर तुलसी रखकर श्रीकृष्ण व भगवान विष्णु की पूजा करते हुए मिष्ठान व पकवान भगवान को अर्पित किया।
पंडित दिलीप पौराणिक ने बताया कि देवउठनी एकादशी के बाद बैकुण्ठ चतुर्दशी पर श्री हर यानि भगवान भोलेनाथ व  श्री हरि यानि भगवान विष्णु को सृष्टि का भार सौंपते हैं। देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां जाते हैं। उस समय पृथ्वी लोक की सत्ता का भार भगवान महादेव के पास होता है और वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह सत्ता पुन: श्री हरि विष्णु को सौंपकर कैलाश पर्वत पर लौट जाते हैं। इस दिवस को बैकुंठ चतुर्दशी, हरि-हर भेंट भी कहा जाता है। 15 नवंबर को स्नान दान पूर्णिमा के दिन पूजा पाठ कर कार्तिक मास का समापन होगा।मान्यता है कि कार्तिक मास में एक महीने का व्रत व पूजन करने से परिवार की हर बाधाएं कट जाती है व परिवार में सुख शांति बनी रहती  है।

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