25 हजार हैक्टेयर मै होगी खरीफ सीजन की खेती, खेतो को तैयार करने मे जुटे किसान

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद : ग्रीष्म कालीन मूंग -उड़द की फसल की कटाई शुरू हो चुकी है!23 जून से आषाढ़ मास का आगाज हो जायेगा!ऐसे मे किसान वट सावित्री अमावस्या होने के बाद बहोरीबंद विकासखंड  के किसान खरीफ फसल की तैयारी में जुट गए हैं।खेती मै जैविक खाद डालने के साथ ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई का कार्य शुरू कर दिए है!कृषि विभाग के द्वारा विकासखंड मे 25 हजार हैक्टेयर लक्ष्य रखा है!जिसमें 20 हजार हैक्टेयर मे धान की बोवनी होना है!
विकासखंड मे बेहतर उत्पादन के लिए कृषि विभाग ने किसानों को सलाह भी दी है। बीज बोनी से पूर्व खेत की अच्छे से तैयारी करें। बीजोपचार के बाद ही बीज की बोनी करें। 120-125 दिन की फसल लगाएं। ताकि दूसरी फसल का भी उत्पादन लिया जा सकें। खेतों में रासायनिक खाद की अपेक्षा प्राकृतिक खाद का ही उपयोग करें। ग्रीष्म ऋतु में ही खेत की जुताई करना चाहिए। ताकि खेतों में मौजूद कीट, तीतली नष्ट हो जाते हैं। इसका फायदा किसानों को बाद में मिलता है। बाद में किसानों को कीटनाशक, खरपतवारनाशक दवाओं का उपयोग कम करना पड़ता है। जैविक खेती को बढ़ावा दें। रासायनिक खादों का उपयोग करने से जहां भूमि की उर्वरा शक्ति खत्म होती है। वहीं जैविक खेती से उर्वरा शक्ति बनी रहती है। जिसके लिए आवश्यक है कि प्राकृतिक रुप से तैयार खाद जैसे जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, वर्मीकम्पोस्ट, गोबर गैस स्लरी का ही अधिक से अधिक उपयोग करें। आवश्यकता होने पर ही रासायनिक का सीमित मात्रा में उपयोग करें।बीज बोनी से पूर्व किसानों को मिट्टी का परीक्षण कराना चाहिए। कृषि विभाग किसानों के खेतों की मिट्टी का निशुल्क परीक्षण करता है। मिट्टी परीक्षण से भूमि में कौन-कौन से तत्वों की कमी है, कौन-कौन से तत्वों की मात्रा अधिक है, के बारे में पता लगाया जा सकता है।धान का बेहतर उत्पादन लेने के लिए पहले बीजोपचार करें। बीजोपचार करने से धान का बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है। अच्छा बीज होने से धान की पैदावार भी अच्छी होगी। कार्बेनाडाजिन के साथ मेनकोजेब 3 ग्राम प्रति किलोग्राम के साथ बीज को उपचारित किया जा सकता है। ट्राइकोडर्मा से भी बीज उपचारित कर सकते हैं। इसी तरह जैविक खेती के लिए भी बीजामृत से बीजोपचार किया जा सकता है। उपचारित बीज को कतार में बोने से नर्सरी अच्छी तैयार होती है।किसानों को बीज की बोवाई करने के दौरान सावधानी बरतने की विशेष आवश्यकता है। बोनी के बाद इस चीज का विशेष ध्यान रखा जाए कि बीज ऊपर तो नहीं है। बीज ऊपर होने से उसे पक्षी चुग लेंगे, वह अंकुरित नहीं हो पाएगा। यदि अंकुरित होता है तो उसकी ग्रोथ अच्छी नहीं होगी।

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इनका कहना है -आर के चतुर्वेदी एसएडीओ कृषि विभाग

खरीफ फसल की तैयारी शुरु कर दी गई है। बीज बोने के लिए सभी आवश्यक तैयारियाँ की जा रही है। खेतों को तैयार किया जा रहा है।
खरीफ फसल की तैयारियों के लिए किसानों को पहले खेत की अच्छे से तैयारी करना चाहिए। बीजोपचार करने के बाद ही बीज की बोनी करें। 120-125 दिन की फसल को ही लगाना चाहिए। निर्धारित समय पर कीटनाशक, खरपतवारनाशक दवाओं का उपयोग करें।

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