हर्षोल्लास से मनाई “गुरुपूर्णिमा,संत श्री आशारामजी आश्रम बैतूल में भंडारे के साथ हुए कई कार्यक्रम

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राजेश मदान बैतूल। गुरुपूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं, यह भगवान वेदव्यास जी की प्राकट्य तिथि है।
उन्होंने महाभारत, 18 पुराणों व उपपुराणों की रचना कर धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का ज्ञान दिया।यह दिन शिष्य द्वारा गुरु के प्रति आदर व्यक्त करने का दिन है।गुरु शिष्य परम्परा के महापर्व गुरुपूर्णिमा पर गुरुवार को श्री योग वेदांत सेवा समिति बैतूल के तत्वाधान में संत श्री आशारामजी आश्रम चिखलार बैतूल में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए।समिति के संरक्षक राजेश मदान ने बताया कि प्रातः 9 बजे से श्री पादुका पूजन, सत्संग, मानस पूजन, श्री आशारामायणजी का पाठ और भजन, कीर्तन का आयोजन हुआ एवं दोपहर 12 बजे महाआरती एवं प्रसाद वितरण के बाद भंडारे का कार्यक्रम भी आयोजित हुआ। आश्रम को सुगंधित फूलों से सजाया गया था। साधकों ने अपने सदगुरुदेव के उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु हेतु प्रार्थना की। आयोजन में जिले भर से सैकड़ों साधक शामिल हुए।सभी ने गुरुपूजन कर सदगुरुदेव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और सेवा साधना में उन्नति हेतु शुभ संकल्प लेकर एक दूसरे को गुरुपूर्णिमा की बधाई दी।आयोजित कार्यक्रम को सफल बनाने में समिति के राजीव झा, श्रीमती नीतू झा, डॉक्टर राजकुमार मालवीय,अनूप मालवीय, राकेश पठारे, माधवी पठारे, पंकज चावरा, शैलेन्द्र रघुवंशी, श्रीमती बबली रघुवंशी, मोहन मदान, श्रीमती अमिता परमार, भव्या मदान, एवं आश्रम संचालक राजू भाई का योगदान सराहनीय रहा।

 


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