दिल्ली मॉडल की तर्ज पर विकसित हो सरकारी स्कूल, जांच के दायरे से दूर है अभी भी बहुत से निजी स्कूल 

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जबलपुर :शासन के निर्देश पर प्रशासन द्वारा निजी स्कूलों की मनमानियों पर नकेल कसने लगातर कार्यवाही की जा रही है फलस्वरूप अभिभावकों को राहत मिली परंतु निजी स्कूलों पर निर्भरता कम नहीं हो सकी जिसका कारण है सरकारी शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त अव्यवस्थाएं, भर्राशाही, अराजकता।अभिभावक उपभोक्ता संगठन सरकारी शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग करता है जिस से अभिभावकों को विकल्प मिल सके इस हेतु दिल्ली मॉडल के अध्ययन तथा व्यवस्थापन का सुझाव देता है।मनीष शर्मा प्रदेश अध्यक्ष अभिभावक संगठन ने बताया कि विगत 10 वर्षो में सरकारी स्कूलों को छोड़ने वाले विद्यार्थियो की संख्या में इज़ाफा हुआ है लगभग 30 लाख विद्यार्थियो ने दूरी बना ली है निजी स्कूलों की तरफ रुझान बढ़ा है।

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भारी बजट के बाद भी शिक्षा स्तरहीन

भारी भरकम बजट होने के बावजूद सरकारी शिक्षा व्यवस्था ठप्प है इंफ्रास्ट्रक्चर नही है, शिक्षकों की कमी है, शिक्षा स्तरहीन है, आधुनिक शिक्षा व्यवस्था का अभाव है। प्राप्त जानकारी अनुसार विगत 10 वर्षो में मध्य प्रदेश का शिक्षा बजट 4 लाख करोड़ रुपए के लगभग रहा है इसके पश्चात लगातर दुर्दशा बढ़ती जा रही है।बहुत से निजी स्कूल जांच के दायरे से बाहर है यह आरोप अभिभावक संगठन के सदस्यो ने लगाए हैं, सदस्यो ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा गठित टीम चुनिंदा स्कूलों पर ही फोकस कर रही है जिसका लाभ सैकडो स्कूल उठा रहे हैं इन स्कूलों के साथ मात्र कागज़ी खाना पूर्ति की जा रही है।मननीय मुख्य मंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर उपरोक्त मुद्दे पर शीघ्र उचित कदम उठाने की मांग प्रफुल्ल सक्सेना, राकेश चक्रवर्ती, रितु चौरसिया, नरेश पेशवानी, जाहिद खान, विनोद पांडे आदि ने की है।

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