खरमास का आज से आगाज,न ही बजेगी शहनाई न ही होंगे शुभ मांगलिक कार्य

सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद : 14 जनवरी मकर संक्रांति तक अब न तो शहनाई बजेगी न ही शुभ -मांगलिक कार्य होंगे।
क्योंकि 16 दिसंबर यानि मंगलवार आज से खरमास का आगाज हो जायेगा,जो 14 जनवरी तक एक माह रहेगा।
इस एक माह में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
इस दौरान विवाह, सगाई, यज्ञ, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं होंगे। साथ ही नया घर या वाहन आदि खरीदना भी वर्जित हैं।पंडित दिलीप पौराणिक ने बताया कि 16 दिसम्बर से खरमास शुरू हो जायेगा जो नए साल में 14 जनवरी 2026 को मकर संक्रांति के दिन समाप्त हो होगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव के एक राशि से दूसरे राशि में स्थान बदलने की प्रक्रिया को संक्रांति कहते हैं।सूर्य देव के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास का आगाज हो गया है। सूर्य देव 14 जनवरी को धुन राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तो मकर संक्रांति पड़ेगी।वर्ष भर दो खरमास लगता है।एक खरमास मध्य मार्च से मध्य अप्रैल के बीच और दूसरा खरमास मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी तक होता है।
इस समय सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्व माना जाता है।खासतौर पर जिनकी कुंडली मे सूर्य की कमजोर स्थिति हो उन्हें खरमास के दौरान सूर्य उपासना करनी चाहिए।
शास्त्रों में खरमास का महीना शुभ नहीं माना गया है।इस अवधि में मांगलिक कार्य करना प्रतिबंधित है।
खरमास होगा समाप्त फिर भी नही बजेगी शहनाई
पंडित रमाकांत पौराणिक ने बताया कि 16 दिसंबर को सुबह 4 बजकर 27 मिनट पर सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के इस गोचर के साथ ही खरमास का आरंभ माना जाएगा। हिंदू धर्म में खरमास को अशुभ समय माना गया है, क्योंकि इस अवधि में सूर्य गुरु की राशि धनु में रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि, इस समय सूर्य का तेज और प्रभाव कुछ कम हो जाता है, जिसके कारण शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य करने की सख्त मनाही होती हैं। इस दौरान घर में खरमास प्रारंभ से समापन तक इन तीन कार्यों को करने से बचना चाहिए अन्यथा सुख-सौभाग्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। साथ ही तनाव, रोग और कठिनाइयां भी बढ़ सकती हैं।जब सूर्य धनु में प्रवेश करते हैं तो खरमास शुरू होता है। नए साल में 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ खरमास समाप्त हो जाएगा, लेकिन जनवरी में शुक्र उदय नहीं हो रहे हैं। इसके कारण विवाह का मुहूर्त फरवरी के पहले सप्ताह में है। बृहस्पति, शुक्र उदय होने के बाद ही विवाह के मुहूर्त बनते हैं।
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