बैतूल के पूर्व सांसद सुभाष आहूजा पंचतत्व में विलीन,गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुआ अंतिम संस्कार




राजेश मदान बैतूल। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सुभाष आहूजा का सोमवार तड़के 3:35 बजे बैतूल में निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ थे। 75 वर्षीय श्री आहूजा की पार्थिव देह को भाजपा कार्यालय विजय भवन में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां बड़ी संख्या में भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं और आमजन ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। तत्पश्चात गंज स्थित मोक्षधाम में गॉर्ड ऑफ ऑनर के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।अंतिम संस्कार में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, प्रदेश संगठन मंत्री हितानंद शर्मा, जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष मोहन नागर और जिले के सभी विधायकों सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। जिला प्रशासन की ओर से बैतूल एसडीएम अभिजीत सिंह और एसडीओपी सुनील लाटा भी शामिल हुए।
आपातकाल के दौरान मीसा बंदी बने
30 मार्च 1950 को जन्मे सुभाष आहूजा ने छात्र राजनीति से सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। वें 1975 में आपातकाल के दौरान मीसा बंदी बने और 19 माह तक जेल में रहे। 1977 में जनता पार्टी उम्मीदवार के रूप में बैतूल से लोकसभा चुनाव जीतकर कांग्रेस नेता एन.के.पी. साल्वे को हराया था। उस समय 27 वर्ष की उम्र में वें संसद के सबसे युवा सांसद बने और गैर-कांग्रेसी सरकार में पहुंचने वाले बैतूल के पहले सांसद बने।आहूजा भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री भी रहे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेई व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी संपर्क में रहे और वें संगठन में प्रमोद महाजन के करीबी नेताओं में गिने जाते थे। 1980 और 1984 के लोकसभा चुनावों में भले ही सफलता नहीं मिली, फिर भी वें लगातार संगठन में सक्रिय रहे और युवाओं को राजनीति व रोजगार से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई।
सांसद रहते हुए वें कोल एडवाइजरी कमेटी के सदस्य रहे। इसके अलावा वें को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष भी बने। WCL और पावर हाउस जैसे औद्योगिक प्रतिष्ठानों में युवाओं को रोजगार दिलाने में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा।
वें श्री कृष्ण पंजाब सेवा समिति में वरिष्ठ संरक्षक और सलाहकार के रूप में भी जुड़े रहे और समय समय पर समाज को मार्गदर्शन देते रहे। सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धांतों पर चलने वाले जन जन में लोकप्रिय नेता थे। जनता की सेवा के लिए सदैव सर्व सुलभ होने से वें आमजन में लोकप्रिय बने। लोग उन्हें प्रेम से नेताजी कहकर बुलाते थे।सुभाष आहूजा अपने पीछे पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा रीतेश आहूजा सहित भरापूरा परिवार छोड़ गए।वें वरिष्ठ समाजसेवी एवं व्यवसायी हरबंश आहूजा के भतीजे तथा भाजपा नेता राजेश आहूजा और राकेश आहूजा के चचेरे भाई थे। अंतिम संस्कार में श्री योग वेदांत सेवा समिति के साधक भी मौजूद रहे।















































