फॉलोअप:किसान की खराब हुई फसल का कौन जिम्मेदार? खदान से गंदा पानी नहर और नदी में छोड़ना कितना सही कितना गलत ?
जबलपुर :सिहोरा के गांधीग्राम (बुढागर )में रसूखदारों की खदान का गंदा पानी नहर के रास्ते नदी में छोड़ा जा रहा है,और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है, इतना ही कुछ दिन पूर्व खसरा नंबर 1714 में स्तिथ एनएच 30 से बिल्कुल सटकर लगी हुई खदान का गंदा पानी फूटी नहर से निकलकर किसान तीरथ पटेल की गेंहू की फसल में चला गया,जिसके कारण किसान को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है,वैसे तो खसरा नंबर 1714 में आयरन और लेटराइड कि तीन खदानें है जो कि सड़क से बिल्कुल लगी हुई खदान जहाँ से पाइप के जरिये गंदा पानी नहर में छोड़ा जाता है वह खदान भाजपा नेता की बताई जा रही है,तो वहीं दूसरे नंबर पर संदीप बंसल और तीसरे नंबर की खदान कांग्रेस नेता की बताई जा रही है,नियम तो यह भी कहता है की एनएच से लगभग ढाई सौ मीटर की दूरी पर कोई भी खदान होनी चाहिए ।
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क्या कहते हैं जानकार
वहीँ जानकारों की मानें तो खदान से निकलने वाले पानी के लिए खदान में ही वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाना पड़ता है,कोई भी खदान संचालक खदान से निकलने वाला टेली युक्त गंदा पानी को ऐसे ही बाहर नहीँ छोड़ सकता है,लेकिन गांधीग्राम के खसरा नंबर 1714 में स्तिथ एनएच 30 से लगी एक रसूखदार की खदान का टेली युक्त गंदा पानी नहर के रास्ते नदी में छोड़ा जा रहा है,
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किसान को लाखों का नुकसान
गांधीग्राम निवासी किसान तीरथ पटेल का कहना है खदान का गंदा पानी नहर के रास्ते उनकी 4 एकड़ खेत मे पकी खड़ी गेंहू की फसल में जाने से उन्हें भारी भरकम नुकसान हुआ है, जिसकी शिकायत उनके द्वारा सीएम हेल्पलाइन 181 में की गई है, लेकिन इस हेल्पलाइन में उन्हें कोई हेल्प नहीं मिली,
अब ऐसे में किसान अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहा है, किसान तीरथ पटेल ने प्रशासन ने न्याय की गुहार लगाते हुए मूवावजे की मांग की है,
इनका कहना है ,मामले की पूरी जांच करवाई जायेगी,वैसे तो खदान का पानी दूषित नहीँ होता है लेकिन यदि कोई मांग करता है तब खदान से पानी निकाल कर उसे दिया जा सकता है,
आलोक जैन क्षेत्रीय प्रबंधक मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जबलपुर
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