डीएपी खाद के लिए डबल लॉक केंद्रों मे किसानों को करना पड़ रहा रतजगा

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सुग्रीव यादव /स्लीमनाबाद – रबी सीजन कृषि कार्य दौर शुरू हो गया है! किसान जुताई व बुवाई कार्य मे लग गए है!लेकिन किसानों के समक्ष एक के बाद एक समस्या सामने आती जा रही है। इस समय बहोरीबंद विकासखण्ड का किसान डीएपी खाद के लिए परेशान हो रहा है। तहसील व ग्रामीण स्तर पर किसानों को सहकारी समिति के माध्यम से खाद नहीं मिल पा रहा है। मजबूरीवश उसे 40 से 45 किमी दूर विकासखण्ड मुख्यालय मैं डबल लाक गोदाम मैं आकर खाद लेनी पड़ रही है। लेकिन यहां आकर भी उसकी समस्या दूर नहीं हो रही है। क्योंकि यहां पहले तो उसे लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर एक बार में पर्याप्त खाद नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में उसे खाद के एक-एक कट्टे के लिए कई बार लाइन में लगने मजबूर होना पड़ रहा है। खाद के वर्तमान संकट ने कृषि विभाग और प्रशासन के दावे को गलत साबित कर दिया है। जिसमें उन्होंने रबी सीजन बोवनी से पहले ही भरपूर खाद होने का दावा किया था। यहां तक कहा था कि इस बार खाद की कोई समस्या नहीं आएगी।लेकिन वर्तमान मे डीएपी खाद संकट की पोल खुलकर सामने आ गई।जब ग्राम पंचायत स्लीमनाबाद के दर्जन भर किसान बुधवार को डबल लॉक गोदाम बहोरीबंद डीएपी खाद लेने पहुँचे।किसानों ने कहा डीएपी खाद की कमी से फसल उत्पादन होगा प्रभावित-
किसान रामनारायण यादव, पवन यादव, अरविंद हल्दकार, धर्मेंद्र हल्दकार, संतोष यादव का कहना था कि जब डीएपी खाद लेने डबल लॉक गोदाम बहोरीबंद तो पहुँचे लेकिन किसानों की भारी भीड़ के कारण उन्हें बिना खाद के ही वापिस लौटना पड़ा!किसानों का आरोप था कि डबल लॉक गोदाम प्रभारी किसानों की पीड़ा को नही समझ रहा है।सुबह से भूखे-प्यासे लाइन मैं लगे लगे शाम हो जाती है लेकिन खाद नही मिलती है।डबल लॉक से महज दिनभर मैं 100 किसानों को ही खाद प्रदान की जाती है।

किसानों को करना पड़ रहा रतजगा –
वहीं अन्य किसानों का भी कहना था कि उन्हें डीएपी खाद के लिए डबल लॉक केंद्र मे ही रतजगा करना पड़ रहा है ताकि सुबह सबसे पहले नंबर लग जाये ओर खाद मिल जाये जिससे गेंहू बोवनी हो सके! खाद के परमिट सोसायटी के बने हुए है, लेकिन एक माह से ज्यादा का समय बीत गया है अब तक परमिट जारी होने के बाद भी खाद की उपलब्धता नही हो पाई है।जिससे वर्तमान मे गेंहू बोवनी  कार्य जारी है जिसके लिए डीएपी खाद की नितांत आवश्यकता है।यदि खाद नही मिली ओर बिना खाद के बुवाई करनी पड़ी तो फसल की ग्रोथ कमजोर होगी जिससे उत्पादन प्रभावित होगा।सोसायटी पर खाद न मिलने के कारण निजी दुकानदार मनमाने दामो पर खाद का विक्रय कर रहे है।डीएपी खाद का निर्धारित रेट 1350 रुपए है लेकिन व्यापारी मौके का फायदा उठाकर 1600 से 1800 रूपये प्रति बोरी बेच रहे है से। इन पर संबंधित विभाग और प्रशासन कोई कार्रवाई नही कर रहा।

समितियों मे नहीं खाद, यह कैसी नीति –
किसानों का कहना था कि खेती से किसानों की आय दोगुनी होगी इसका ढिंढोरा सरकार पीठती है!लेकिन जब खेती के लिए खाद ही नहीं मिल पा रही तो कैसे किसान समृद्ध बनेगा!
शासन -प्रशासन की यह दोहरी नीति क्यों है!सहकारी समितियों मे डीएपी खाद की उपलब्धता नहीं कराई जा रही, जिससे समितियाँ शोपीस बनी हुई है!डीएपी खाद की उपलब्धता मात्र डबल लॉक केंद्रों मे ही करवाई जा रही है!
जिससे किसानों को 40 से 45 किलोमीटर दूर बहोरीबंद या कटनी जाना पड़ रहा है!

इनका कहना है- राजयश कुरील सहकारिता आयुक्त

यह सही है कि वर्तमान मे जिले की सोसायटियों मैं डीएपी 1846 खाद की कमी बनी हुई।इसका कारण खाद का रैक न लग पाना है।शासन स्तर पर सोसायटियों मैं डीएपी खाद की उपलब्धता को लेकर डिमांड भेजी गई है।संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही डीएपी खाद का जिले मे रैक लगेगा।जिसके बाद जिले की सोसायटियों मैं यूरिया खाद की उपलब्धता हो जाएगी।

इनका कहना है – अमित तिवारी
जिला विपणन अधिकारी

जिले मे हाल ही मे जो डीएपी खाद का रैक लगा था उसका आवंटन डबल लॉक केंद्रों के लिए किया गया था!
सहकारी समितियों का कोई पेंच फंसा हुआ है जिस कारण डीएपी खाद की उपलब्धता सोसायटियों मे नहीं की जा रही है!

 

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