बारिश होने से सहमे किसान,धान उत्पादन होगा प्रभावित, पिछड़ा धान कटाई कार्य

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद– खेतो में खड़ी खरीफ सीजन की प्रमुख धान फसल पर बारिश का खतरा मंडराने लगा है। इससे बचाव के लिए अन्नदाता इंद्रदेव से प्रार्थना कर रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि बहोरीबंद विकासखण्ड में 20 फीसदी फसल खेतों से कट गई है,लेकिन अभी भी 80 फीसदी फसल कटाई के लिए शेष है!कार्तिक मास मै लगातार मौसम बदलाव से किसानो के सामने चिंता के बादल मडराने लगे है!सोमवार की दोपहर अचानक स्लीमनाबाद मै जोरदार बारिश का सिलसिला शुरू हो गया!लगभग आधे घंटे तक जोरदार बारिश हुई!बारिश से होने से धान कटाई कार्य रुक गया, हार्वेस्टर मशीने कटाई कार्य बंद कर खेतों से बाहर निकल आई!जोरदार बारिश होने से पकी हुई धान की उपज जहाँ फिर गीली हो गईं वही खेतों मै जलभराव भी हो गया!
जिससे कटाई कार्य 5-7 दिनों के लिए पिछड़ गया!
खरीफ सीजन धान कटाई पिछड़ने से आगे रबी सीजन कृषि कार्य मै लेटलतीफ़ी होगी!जानकारी के अनुसार बहोरीबंद विकासखण्ड में खरीफ सीजन फसल का रकबा 25 हजार हेक्टेयर मै था।धान की जो फसल पककर तैयार हो चुकी थी, उसकी कटाई-मिसाई का कार्य हो गया !खरीफ सीजन की फसल की बोवनी समय से हो गईं थी लेकिन चार माह वर्षा काल के पर्याप्त बारिश होने से उसके पकने मै लेटलतीफी हुई!फसल पककर तैयार हो गईं थी लेकिन मानसून सिस्टम एक्टिव हो गया ओर फिर से बारिश का दौर शुरू हो गया!
कृषि अधिकारियों की मानें तो बारिश का यें संकट टल जाये तो किसानों की मेहनत बेकार नहीं जाएगी!

वर्षा से खेतों मै जलभराव,उत्पादन होगा प्रभावित

कृषक शिवलाल यादव,पवन यादव,कृष्णकांत कुशवाहा, सुरेश विश्वकर्मा ने बताया कि फसल गिर जाने से हार्वेस्टर भी सही तरीक़े से कटाई कार्य नही कर पायेगा।साथ ही जो धान की फसल पककर खेतो मैं खड़ी है बारिश होने से धान की बालियों मैं कालापन आएगा।वर्षा से खेतों मै जलभराव हो गया है, जिस कारण फसल गीली हो गई हैं!जिस कारण कटाई-मिसाई कार्य रुका हैं!

नहीं मिल रहे मजदूर

मौसम के मिजाज को देखते हुए हर किसान चाह रहा है कि वह अतिशीघ्र अपनी धान फसल की कटाई व मिसाई कर उसे सुरक्षित कर दे। किसानों द्वारा इस कार्य के लिए श्रमिकों की संख्या बढ़ा दी गई है, ऐसे में श्रमिकों की मांग अचानक बढ़ गई है। जिसके चलते श्रमिकों की कमी हो गई है और किसानों को एक साथ श्रमिक नहीं मिल पा रहे हैं। जिन किसानों के यहां श्रमिक लगे हैं वह उन्हें छोडऩा नहीं चाह रहे। जिससे किसानों की मुश्किल बढ़ रही है!

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