ज्यादा उत्पादन ओर कीट मारने क्षमता से ज्यादा डाल रहे कीटनाशक,
सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद – फसलों, सब्जियों के ज्यादा उत्पादन के लिए किसान कीटनाशक दवा, खाद का उपयोग जरूरत से ज्यादा कर रहे हैं, जिससे जमीन के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ रहा है। यदि किसान जागरूक नहीं हुए तो आने वाले समय में फसलें पूरी तरह से जहरीली हो जाएंगी। इस वर्ष बहोरीबंद विकासखंड क्षेत्र में रबी सीजन की खेती 30 हजार हैक्टेयर मैं हुई है!जिसमें हजारो लीटर कीटनाशक दवा का छिड़काव होगा। नियमानुसर एक हेक्टेयर फसल में एक लीटर कीटनाशक दवा डलना चाहिए, लेकिन किसान मनमर्जी से ज्यादा दवा डालते हैं और दो बार की जगह तीन बार तक छिड़काव करते हैं, जिससे इसका असर फसलों के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। दवा का सीमित छिड़काव करने के लिए किसानों को जागरूक भी किया जाता है, लेकिन फिर भी किसान ज्यादा दवा डाल रहे हैं। इसके अलावा गेहूं की फसल में यूरिया का उपयोग भी ज्यादा होने से स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है।
कृषि विभाग के अधिकारियो ने बताया कि एक हेक्टेयर में एक लीटर दवा का ही छिड़काव होना चाहिए। चना की फसल 30 से 35 दिन की होने पर ही कम असर वाली दवा का छिड़काव करें। साथ ही फलियां आने पर यदि इल्ली है, तो फिर से दवा डालें। कीटनाशक और खाद ज्यादा डालने से जमीन खराब हो रही है, जिसका असर कुछ वर्षों बाद दिखने लगेगा।
चना की फसल में दवा का छिड़काव करना है, तो पहले इल्ली की संख्या देखें। यदि एक वर्ग मीटर की फसल में एक से ज्यादा इल्ली हैं और ऐसी स्थिति फसल में चार-पांच जगह है, तो दवा का छिड़काव करें। साथ ही दवा दोपहर के बाद डालें, जिससे मित्र कीट कम मात्रा में मरते हैं। सुबह-सुबह मित्र किट निकलते हैं और दवा डालने से वह भी मर जाते हैं। वहीं, एक दवा के साथ दूसरी दवा मिलाकर छिड़काव न करें, यह फसलों के लिए हानिकारक है। यदि दो दवा डालने की जरूरत है, तो मिक्स दवा लेकर डालें।
गौरतलब है कि लोग स्वस्थ रहने के लिए गैर मौसमी सब्जी न खाएं, जो सब्जी घर लाते हैं उसे गुनगुने पानी से दो बार धोकर स्टोर करें। साथ ही बनाने के पहले फिर से इसे धोएं, धोने के बाद सब्जी का छिलका निकालें, गोभी व पत्ता गोभी बनाने के पहले काटकर गुनगुने पानी में डालें। हरे धनिया को भी दो बार धोना चाहिए।
कीटो की बढ़ रही प्रतिरोधक क्षमता –
कृषि विभाग के एसएडीओ आर के चतुर्वेदी ने बताया कि दवाओं का ज्यादा छिड़काव करने से लागत तो बढ़ ही रही है, साथ ही कीटों की प्रतिरोधक क्षमता बढऩे से दवाओं का असर नहीं हो रहा है। दवा छिड़काव के बाद जो इल्ली बच जाती है और उनके अंडे से जो इल्ली बनती है उसपर यह दवा असर नहीं कर रही है। फल, सब्जी के साथ दवा के जो अवशेष शरीर में पहुंच रहे हैं, वह कैंसर, लीवर सहित पेट संबंधी अन्य बीमारियों को जन्म दे रहे हैं। जमीन कठोर हो रही है और मित्र कीट भी मर रहे हैं।
इंडिया पोल खोल को आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु इस QR कोड को किसी भी UPI ऐप्प से स्कैन करें। अथवा "Donate Now" पर टच/क्लिक करें।
Click Here >>
Donate Now
इंडिया पोल खोल के YouTube Channel को Subscribe करने के लिए इस YouTube आइकन पर टच/Click करें।
इंडिया पोल खोल के WhatsApp Channel को फॉलो करने के लिए इस WhatsApp आइकन पर टच/Click करें।
Google News पर इंडिया पोल खोल को Follow करने के लिए इस GoogleNews आइकन पर टच/Click करें।