विद्यार्थियों को करे प्रोत्साहित व संस्कारित ताकि बन सके सुसभ्य नागरिक

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सुग्रीव यादव /,स्लीमनाबाद– नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों में बुनियादी 1साक्षरता और संख्या ज्ञान कौशल का विकास करने के लिए निपुण भारत के नाम से राष्ट्रीय पहल की गई है। इसके अंतर्गत मिशन अंकुर के नाम से कक्षा 1और 2 के विद्यार्थियों को जिन बुनियादी दक्षताओं में निपुण किया जाना है, उन दक्षता को हासिल करने के लिए  बहोरीबन्द विकासखण्ड के 238 शासकीय प्राथमिक स्कूलों मैं शनिवार को एफएलएन मेला आयोजित किया गया।
प्राथमिक स्कूलों मैं आयोजित एफएलएन  मेला मैं हिंदी,अंग्रेजी और गणित विषयों की प्रारंभिक दक्षताओं में बच्चों को कैसे निपुण किया जाए इसके लिए तैयार की गई पुस्तकें, सहायक सामग्रियों का उपयोग विभिन्न शिक्षण सामग्री का ज्ञान, बच्चों का मूल्यांकन एवं समग्र प्रगति पत्रक तैयार करने का तरीका आदि बिंदुओं के साथ-साथ शालाओं में आ रही चुनौतियां और उपलब्धियो की समीक्षा की गई।डाइट प्राचार्य व बीआरसी ने किया स्कूलो का निरीक्षण-
एफएलएन मेला का जायजा लेने शिक्षा विभाग के अधिकारी भी सक्रिय दिखे!डाइट प्राचार्य एम पी डुंगडुंग व व्याख्याता राजेंद्र असाठी सीएम राइज स्कूल स्लीमनाबाद पहुंचें!
जहाँ उन्होंने विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों से भी सवाल जवाब किये!इस दौरान प्राचार्य डी के ठाकुर, जनशिक्षक डॉ दिलीप त्रिपाठी, अखिलेश पांडेय उपस्थित रहे!वहीं बहोरीबंद विकासखण्ड स्त्रोत समन्यवक प्रशांत मिश्रा ने भी शासकीय स्कूल तेवरी, राखी, महाराजपुर, बंधी स्टेशन सहित अन्य स्कूलों मैं पहुँचे।जहाँ आयोजित एफएलएन मेला को संबोधित करते हुए बीआरसी ने कहा कि शिक्षक भी समाज का हिस्सा है। बच्चे के मानसिक व शारीरिक विकास में शिक्षक के साथ-साथ माता-पिता और समाज का भी अहम योगदान होता है। आज जरूरी है कि बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। बच्चों को नवाचार से शिक्षा देने का समय है।ताकिवह बड़े होकर वह समाज के सुसभ्य नागरिक बन राष्ट्र व समाज की समर्पणभाव से सेवा करें।
इसी तारतम्य मैं एफएलएन मेला आयोजित किया गया।
बीआरसी ने मौके पर विद्यार्थियों के एफएलएन मेला रिपोर्ट कार्ड भरवाया।वही जन शिक्षक डॉ दिलीप त्रिपाठी ने भी भाषा विकास,सामाजिक व भावनात्मक विकास,शारीरिक विकास ,बौध्दिक विकास के विषय पर बच्चों को समझाया।
एफएलएन मेला मैं विद्यार्थियों के अभिभावक भी शामिल हुए।जिन्होंने विभिन्न विधाओं को समझा।साथ ही विशेष स्वरूचिकर भोजन बनाया गया।

 

 


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