नरवाई जलाने से बंजर  न हो जाए जमीन,आग फैलने का भी खतरा

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद : गेहूं की फसल की हार्वेस्टर से कटाई के बाद बची हुई गेहूं की नरवाई जलाना मिट्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। नरवाई जलाने से मिट्टी की उर्वरता लगातार कम होती जा रही है। जिससे उत्पादन प्रभावित होता है। जबकि जमीन में नाइट्रोजन की औसत मात्रा 1.66 प्रतिशत से अधिक होना चाहिए।नरवाई में आग लगाने से कई तरह के नुकसान होते हैं। इससे भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते हैं व भूमि बंजर हो जाती है। भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है।
उक्त बातें बहोरीबंद कृषि विभाग के एसएडिओ आर के चतुर्वेदी ने शनिवार को ग्राम भेड़ा,सलैया प्यासी,लिगरी, संसारपुर मैं किसानों को समसामयिक सलाह देते हुए कही।
उन्होंने बताया कि भूमि की उपरी परत में ही पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध रहते हैं, आग लगाने के कारण ये पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं। भूमि कठोर हो जाती है जिसके कारण भूमि की जलधारण क्षमता नष्ट हो जाती है और फसलें जल्दी सूख जाती है। इसके अलावा खेत की सीमा पर लगे पेड़-पौधे फल वृक्ष आदि जलकर नष्ट हो जाते हैं और पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ वातावरण में तापमान वृद्धि होती है जिससे भूमि गर्म हो जाती है।

नरवाई की खाद बनाएं_

इसके अलावा वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी आर के चतुर्वेदी ने किसानों को बतलाया कि भूमि में कार्बन नाईट्रोजन तथा फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है। भूमि में पाए जाने वाले केंचुए नष्ट हो जाते हैं इस कारण भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। इसलिए किसान नरवाई न जलाएं बल्कि नरवाई नष्ट करने के लिए रोटावेटर चलाकर नरवाई को बारिक कर मिट्टी में मिला दें। इससे जैविक खाद तैयार होती है। इससे किसान को अपनी फसल के लिए नैसर्गिंक खाद मिलेगी, जिससे फसल उत्पादन बढ़ेगा।

मूंग की बोवनी जारी_

बहोरीबंद कृषि विभाग के द्वारा खाद्य एवं पोषण सुरक्षा योजना के तहत ग्रीष्मकालीन मूंग क्लस्टर फसल प्रदर्शन  जीरो ट्रिलेज, हैप्पी सीडर” द्वारा विकासखंड के चयनित किसानों के यहां मूंग की बोवनी कराई जा रही है।
साथ ही जिन कृषको के खेतो मैं नरवाई है वहां काल्टिवेटर की सहायता से या हेरो की सहायता से या प्लाऊ की सहायता से उसी खेत की मिट्टी मैं मिलाया जा रहा है और ग्रीष्मकालीन फसल की फिर बोवनी की जा रही है।

 


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