क्या भगवान भी होते हैं बीमार?जानिए क्या है इसके पीछे का रहस्य




The secret behind the illness of God: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ 15 दिन के लिए बीमार होते हैं बताया जाता है कि भगवान ने अपने एक भक्त की बीमारी अपने ऊपर ले ली थी तब से लेकर अभी भी भगवान जगन्नाथ 15 दिन के लिए बीमार होकर अस्पताल में भर्ती होते हैं।दरसअल भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य रूपांतरण से भगवान जगन्नाथ की स्थापना हुई, जो आज पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भक्तों के लिए आस्था का केन्द्र है. पुरी के जगन्नाथ मंदिर की भव्य रथ यात्रा भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है. इस साल यह यात्रा 27 जून को निकाली जाएगी. आपको बता दें कि भगवान यात्रा से पहले ज्येष्ठ पूर्णिमा के स्नान के बाद बीमार होने के कारण 15 दिन के लिए एकांतवास में चले जाते हैं.इस दौरान भगवान भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं. एकांतवास के दौरान भगवान को तरह-तरह की औषधि का लेप और काढ़ा पिलाकर स्वस्थ किया जाता है. जिसके बाद भगवान जगन्नाथ आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं और अपने भाई बहन के साथ रथ पर सवार होकर अपनी मौसी के घर गुंडीचा पहुंचते हैं. लेकिन, ऐसा क्यों होता है कि भगवान जगन्नाथ यात्रा से 15 दिन पहले बीमार पड़ जाते हैं.
क्या है इसके पीछे का रहस्य ?
बताया जाता है की भगवान जगन्नाथ के अनन्य भक्त माधव दास लंबे समय की बीमारी से परेशान होकर जगन्नाथ जी से कहा-प्रभु! आप तो जगत के स्वामी हैं, तो क्या आप मेरी बीमारी ठीक नहीं कर सकते?” इसके जवाब में भगवान जगन्नाथ ने कहा- “मित्र माधवदास! मैं तुम्हें मोक्ष देना चाहता हूं. पिछले जन्म के कर्म भोगने के बाद तुम पवित्र हो जाओगे. अभी तुम्हारी बीमारी के बस 15 दिन बचे हैं.”यह सुनकर माधवदास रोने लगे कि मुझे बहुत पीड़ा हो रही है. तब प्रभु जगन्नाथ ने माधव दास की 15 दिनों की बची हुई बीमारी की अपने ऊपर ले ली. माधवदास ठीक हो गए लेकिन प्रभु जगन्नाथ बीमार पड़ गए. इस दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा थी. तब से ही परंपरा है कि भगवान जगन्नाथ ज्येष्ठ पूर्णिमा के बाद से 15 दिन के लिए बीमार होते हैं और एकांतवास में चले जाते हैं. जिसे ‘अनासर’ भी कहते हैं. वहीं, जब 15 दिन बाद ठीक हो जाते हैं तो ‘नैनासर उत्सव’ मनाया जाता है यानी रथयात्रा निकलती है.आपको बता दें कि इस साल 27 जून को भगवान जगन्नाथ मंदिर से निकलकर गुंडीचा अपनी मौसी के घर पहुंचेंगे, जहां वह 1 सप्ताह विश्राम करेंगे. इसके बाद वापस जगन्नाथ मंदिर में विराजमान होंगे. इस यात्रा में रथ खींचने के लिए हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं. मान्यता है इससे मोक्ष का रास्ता आसान हो जाता है.















































