खरी- अखरी, नितिन गडकरी बन सकते हैं पीएम 

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अश्वनी बडगैया अधिवक्ता कटनी_स्वतंत्र पत्रकार_

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18वीं लोकसभा का गठन कब होगा ? कौन सा गठबंधन बनायेगा सरकार ? कौन बनेगा प्रधानमंत्री ? इन सवालों का उत्तर आसान नहीं है। राजनीतिक समीकरण पल – पल बदलने की खबरें आ रही है। सबसे बड़ा दल होने के बाद भी भाजपा किसे प्रधानमंत्री बनाने जा रही है अभी तक तय नहीं हुआ है। मगर इतना तो तय है कि भाजपा की तरफ से वही प्रधानमंत्री बनेगा जिसके नाम पर आरएसएस की रजामंदी होगी। संघ के भितरखाने से मिल रही खबरों के मुताबिक प्रधानमंत्री के लिए नितिन गडकरी संघ की पहली पसंद है और इसी नाम पर भाजपा संसदीय दल की बैठक में मुहर लगाया जाना लगभग तय है। औपचारिक रूप से गडकरी के नाम का प्रस्ताव नरेन्द्र मोदी रखेंगे और अनुमोदन करने वालों में अमित शाह भी रहेंगे ।दस साल प्रधानमंत्री रहते हुए नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह से संघ प्रमुख मोहन भागवत को दरकिनार और उपेक्षित किया है उससे संघ नाराज बताया जा रहा है। संघ की नाराजगी में घी डालने का काम 4 जून को चुनाव परिणाम आने के बाद दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पर हुई कार्यकर्ता बैठक तथा 5 जून को एनडीए में शामिल घटक दलों की बैठक ने किया है। 4 जून को दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पर संघ और भाजपा के वरिष्ठजनों को दरकिनार कर नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और जयप्रकाश नड्डा ने संबोधित कर प्रधानमंत्री पद की तीसरी बार शपथ लेने के लिए नरेन्द्र मोदी के नाम का ऐलान किया गया तथा 5 जून को एकबार फिर संघ को नजरअंदाज कर एनडीए घटक दलों की बैठक बुलाकर प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी के नाम सहमति जताने का काम किया उसे संघ ने गंभीरता से लिया है। संघ का मानना है कि यह संघ प्रमुख को दरकिनार करने की सोची समझी साजिश के तहत किया गया है। सभी जानते हैं कि भाजपा संसदीय दल के नेता के नाम पर मोहर चुने गये सांसदों की बैठक में लगाई जायेगी और नेता भी वही होगा जिसके नाम की हरी झंडी संघ दिखाएगा। ऐसा लगता है कि संघ की सहमति के बिना आनन-फानन नरेन्द्र मोदी को नेता घोषित करना संघ और चुने गए सांसदों पर मानसिक दबाव बनाने के लिए किया गया है। कुछ दिन पहले ही चुनाव की वोटिंग के आखिरी चरण के पहले भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि अब भाजपा को आरएसएस की कोई जरूरत नहीं है। भाजपा अपने निर्णय लेने में सक्षम है। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि संघ स्वयंसेवकों के सहयोग के बिना भाजपा हो या भाजपा का बड़े से बड़ा कद्दावर नेता एक कदम नहीं चल सकता। लगता है जे पी नड्डा ने ये हवा हवाई बात नरेन्द्र मोदी के 400 पार के बहकावे में आकर कही होगी। शायद मोदी भी अहंकार के घोड़े पर होकर मैं – मैं की तोतारटंत रट रहे थे। उन्हें पूरा विश्वास था कि उनके नाम पर 400 सीटें आ रही हैं। शायद आगे चल कर सरसंघचालक की नियुक्ति करने का मंसूबा भी नरेन्द्र मोदी पाल बैठे थे। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री पद के लिए संघ की पहली पसंद नितिन गडकरी हैं उसके बाद नम्बर आता है राजनाथ सिंह का। इसलिए कहा जा सकता है कि नरेन्द्र मोदी का तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना लगभग नामुमकिन है। इसके पीछे यह भी कारण बताया जा रहा है कि नरेन्द्र मोदी में अपनी एकला चलो अधिनायकवादी छबि के चलते गठबंधन की सरकार चलाने की काबिलियत नहीं है।*

*इंडिया एलायंस बनाने जा रही सरकार*
_खरगे बन सकते पीएम_

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*पल पल बदलते राजनीतिक समीकरण के चलते दूसरी खबर यह मिल रही है कि एनडीए नहीं बल्कि इंडिया एलायंस मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में सरकार बनाने जा रहा है। जिसका खुलासा आगामी 48 घंटे में हो जायेगा। इंडिया गठबंधन की सरकार वही बनवाने जा रहे हैं जो एनडीए की सरकार बनवा रहे थे। इन दो बड़े राजनीतिक खिलाड़ियों के बारे में कहा जाता है कि ये इतनी फुर्ती से पाला बदलते हैं जितनी फुर्ती से पलक भी नहीं झपकती। ताजी खबर आ रही कि एनडीए के सरकार बनाने की डेट बदल दी गई है क्योंकि नरेन्द्र मोदी के पीएम बनने पर दोनों बाबुओं (चंद्रबाबू – नितीश बाबू) ने रोड़ा अटका दिया है। जिस तरह से राजनीतिक ऊंट हिलडुल रहा है उससे दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है कि वह किस करवट बैठेगा।*

 

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