बिना पंजीयन किया जा रहा था अस्पताल का संचालन,पुलिस ने किया मामला दर्ज
जबलपुर :बिना पंजीयन अस्पताल का संचालन कर नियम की अवहेलना करने वाले सुलखिया अस्पताल संचालकों के विरूद्ध पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर मामले की विवेचना सुरु कर दी है।
यह है मामला
मामला थाना गोराबाजार का है पुलिस से प्राप्त जानकारी के मुताबिक दिनांक 01/08/2025 को कायार्लय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी जिला जबलपुर के लिपिक आकाश गुप्ता द्वारा डाक्टर संजय मिश्रा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थय अधिकारी जिला जबलपुर का पत्र जिसमे सुलखिया अस्पताल बिलहरी के संचालक रमेश सुलखिया एवं डाक्टर दिव्यांश सुलखिया दोनो निवासी पोस्ट आफिस के सामने बिलहरी थाना गोराबाजार के द्वारा अवैध रूप से बिना पंजियन के अस्पताल का संचालान करने एवं आयर्ुवेदिक चिकित्सा पद्यती के अनुसार ईलाज नही कर मरीजो के साथ धोखाधडी करने के सबंध में एक लेख है प्रस्तुत किया गया।प्राप्त प्रतिवेदन अनुसार रमेश सुलखिया एवं डा. दिव्यांश सुललिखा, सुलखिया क्लीनिक, पता पोस्ट ऑफिस के सामने, बिलहरी जो कि एक अपंजीकृत क्लीनिक है से सम्बंधित शिकायत प्राप्त होने पर गरूड़ दल टीम द्वारा सुलखिया क्लीनिक का औचक निरीक्षण किया गया। मौके पर जांचकतार् अधिकारियों के द्वारा पंचनामा तैयार किया गया।
क्लीनिक पर पाई गईं ये कमिया
1. अस्पताल का पंजीयन नहीं होना पाया गया एवं बिना पंजीयन के 8 बिस्तरीय अस्पताल का संचालन किया जा रहा था।
2. बायोमेडिकल वेस्ट एवं पयार्वरण प्रबंधन की अनुपलब्धता न तो संग्रहण, निपटान की विधिवत व्यवस्था थी और न ही दैनिक रिकाडर् प्रस्तुत किया गया।
3. अस्पताल का फायर एन.ओ.सी. नहीं था न ही उपकरण थे फायर निकासी की भी कोई व्यवस्था नहीं थीं।
जबकि मध्यप्रदेश उपचयार्गृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 की धारा 3 के अंतगर्त समस्त मान्य चिकित्सा पद्धत्तियों के अंतगर्त संचालित सभी क्लीनिकल स्थापना का पंजीयन अनिवार्य है।
नियम की अवहेलना करने पर संचालक रमेश सुलखिया एवं डा. दिव्यांश सुलखिया के अस्पताल को तहसीलदार श्री जयसिंह धुवर्े के गरूड़ दल द्वारा सील बंद किया गया ।
प्राप्त प्रतिवेदन पर सुलखिया अस्पताल संचालक रमेश सुलखिया एवं डाक्टर दिव्यांश सुलखिया दोनो निवासी पोस्ट आफिस के सामने बिलहरी थाना गोराबाजार के विरूद्ध धारा 318(4), 3 (5) बीएनएस एवएं 34 नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट 2019,21 (24) म.प्र.आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1987, 3,8 (क) (प) (पप) म.प्र. उपचयार् गृह तथा रुजोपचार संबंधी स्थापना अधिनियम 1973 का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।