खेतों मै जलभराव, धान फसल नहीं काट पा रहे हार्वेस्टर न ही मजदूर

सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद– बहोरीबंद के पठार क्षेत्र में धान की फसल पककर तैयार खड़ी है, लेकिन पिछले दिनों हुई लगातार बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। खेतों में इतना जलभराव हो चुका है कि न तो मशीनें पहुंच पा रही हैं और न ही मजदूर काम पर उतर पा रहे हैं। मजबूरी में किसान पैरों में बोरी बांधकर, कीचड़ और पानी से भरे खेतों में उतर रहे हैं और फसल को जितना हो सके उतना बचाने की कोशिश कर रहे हैं।पठार क्षेत्र के किसानों का कहना है कि इस बार मौसम ने ऐसा करवट ली है कि मेहनत से खड़ी की गई फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है। खेतों में लंबे समय से जमा पानी के कारण धान की बालियां फिर से अंकुरित होने लगी हैं। इससे केवल पैदावार कम नहीं होगी, बल्कि कटाई के बाद दाने का वजन और गुणवत्ता भी घट जाएगी। कई किसान बताते हैं कि फसल का एक बड़ा हिस्सा पहले ही खराब होना शुरू हो गया है।मजदूर नहीं, और जो मिल रहे हैं वे मांग रहे दोगुना दाम-ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों की भारी कमी हो गई है।मुन्नी बाई पटेल बताती हैं कि मजदूर कटाई के लिए मनमाने दाम मांग रहे हैं। एक दिन की मजदूरी 400 से 500 रुपए से बढ़कर लगभग 800 से 1000 रुपए तक पहुंच गई है। ऐसे में किसान खुद ही खेतों में उतर रहे हैं। पठार क्षेत्र के निचले इलाकों में जलभराव और अधिक है।किसानों का कहना है कि पानी अभी निकलने में 10 से 15 दिन लगेंगे, मशीनें शीनें खेत में घुस ही नहीं पा रहीं, फसल का लगभग आधा हिस्सा खराब होने का खतरा है।खरीफ बोनी का बड़ा हिस्सा प्रभावित विकासखंड क्षेत्र में इस खरीफ सीजन में 35 हजार हेक्टेयर में बोनी हुई थी, जिसमें से 25 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई की गई थी।अब लगातार जलभराव और कटाई में देरी के कारण बड़े पैमाने पर फसल नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है।किसानों का का कहना है कि तत्काल क्षति सर्वे कराया जाए, प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाए, निचले क्षेत्रों में जलनिकासी के लिए मशीनें लगाई जाएं। ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन खेतों का निरीक्षण करके नुकसान का सही आकलन करे ताकि किसान आने वाले रबी सीजन की तैयारी कर सके।
किसानों ने बयां की दर्द और मजबूरी की कहानी
ग्राम तिंगवा के किसान संतोष चौधरी ने बताया कि एक एकड़ में धान लगाया था। फसल पूरी तरह पक चुकी है. लेकिन खेत में घुटनों तक पानी भरा है। बोरी बाँधकर किसी तरह काम कर रहे हैं।वहीं राजकुमार चौधरी ने बताया कि कीचड़ में पैर धंस जाते हैं, सांप-बिच्छू का डर अलग से। फिर भी खेत में उतरना पड़ता है। मेहनत की फसल को यूं ही बर्बाद होते देखने का दुःख उससे बड़ा है।कृषक मुन्नी बाई ने बताया कि दो एकड़ की फसल पानी में डूबी है। कटाई में देरी का मतलब बर्बादी है। जितना बच रहा है, उसे किसी तरह निकालने की कोशिश कर रहे हैं।किसान बिहारी पटेल का कहना था कि बारिश पूरे सीजन में ज्यादा हुई। अब फिर से पानी भर गया है। धान की फसल का नुकसान इस बार भारी होने वाला है। उत्पादन प्रभावित होने से हमें नुकसान की संभावना की चिंता है!
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