मिनी भेड़ाघाट के जीणोद्धार की मांग,कार्तिक पूर्णिमा में जगह -जगह हुए आयोजन,गौशाला में सुनाई गई गौमाता की महिमा

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जबलपुर:कार्तिक पूर्णिमा के निमित्त माँ नर्मदा के तटों से लेकर हिरन नदी और बेलकुंड नदी के तटों में भी विभिन्न धार्मिक आयोजन हुए,इस दौरान लोगों ने पवित्र नदियों के जल में स्नान कर दीपदान किया साथ ही नदी के तटों में दिनभर लोगों का मेला लगा रहा इस दौरान लोगों ने पूजन पाठ कर नदी के किनारे गक्कड़ भर्ता बनाकर वहीँ पर भोजन और भजन किया।इसके साथ ही खितौला के समीप घुघरा में स्तिथ हरि ॐ गौशाला में गौ भक्तमाल की 5 दिवसीय कथा का आज समापन हुआ कथा के दौरान गौ माता की महिमा बताई गई। इस दौरान श्री योग वेदांत सेवा समिति द्वारा गौशाला में भंडारे का आयोजन किया गया इस दौरान बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

घुघरा की गौशाला में सुनाई गौमाता की महिमा 

हरिओम गौशाला घुघरा में गाय की महिमा को बताते हुए श्री सुभाष चेतन्य जी महाराज सहित राकेश पहारिया बाबाजी ने बताया की वेद पुराणों में गौमाता की महिमा बताई गई है।उन्होंने लोगों से अपील की है की ज्यादा से ज्यादा लोग गौमाता की सेवा से जुड़ें क्योंकि हम गाय को नहीं बल्कि गाय माता हमको पालती है।श्री योग वेदांत सेवा समिति सिहोरा के अध्यक्ष राकेश पहारिया बाबाजी ने बताया की 30 अक्टूबर गोपाष्टमी से लेकर आज 5 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा तक गौ भक्तमाल की कथा का आयोजन किया गया साथ ही ब्रम्हलीन संत शिरोमणि स्वामी लीलाशाहजी बापू की पुण्य स्मृति के अवसर पर आज हवन पूजन और भंडारे का आयोजन किया गया।वहीं आज के दौर में देखा जाये तो गौमाता सड़क पर मारी-मारी फिर रही है,इस दौरान कई गौमाता सड़क दुर्घटना का शिकार होकर असमय ही काल के गाल में समा जाती हैं,लेकिन यदि आज से कुछ साल पहले चला जाये तो गौमाता को गोपालकों द्वारा बड़े ही सेवा भाव से गौमाता की सेवा कर उनका हर तरह से ध्यान रखा जाता था।

 प्राचीन धार्मिक स्थल के जीणोद्धार की मांग 

खितौला से दस किलोमीटर दूर सिहोरा जनपद की ग्राम पंचायत केवलारी के घुघरा  स्तिथ बदबदा  के नाम से प्रसिद्ध यह तीर्थ स्थल बहुत प्राचीन है,इस पूरे क्षेत्र को जीणोद्धार की जरूरत है।यहां की खूबियों के विषय मे ग्रामीण बताते हैं की यहां पर चारों तरफ प्राकृतिक वातावरण है यहाँ पर पहाड़ी के ऊपर सिद्ध महराज का प्राचीन स्थान है, साथ ही नीचे नदी किनारे प्राचीन शिवलिंग और सामने संकट मोचन हनुमानजी बैठे हैं,वैसे तो ग्रामीण इसे मिनी भेड़ाघाट भी कहते हैं, क्योंकि यहां पर पत्थरों से निकली बेलकुंड नदी जाकर एक बड़े से कुंड में गिरती है,वैसे तो इस कुंड के भी एक प्राचीन कहानी भी लोग बताते है।फिलहाल ग्रामीणों ने इस प्राचीन धार्मिक स्थल के जीणोद्धार की मांग की है,ताकि यहाँ की खूबसूरती को चार चांद लग सकें।

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