
सिहोरा जिला को लेकर जलाए गए खून के दिये
जबलपुर /सिहोरा। वर्षों से लंबित सिहोरा जिला की मांग को लेकर रविवार को पुराने बस स्टैंड पर एक बार फिर उबाल फूटा। लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति के आह्वान पर सैकड़ों नागरिकों ने अपने शरीर से निकले खून से 101 प्रतीकात्मक दीए जलाकर सरकार से पूछा – “आखिर सिहोरा जिला कब बनेगा?”आंदोलनकारियों ने कहा कि इन दीयों में केवल तेल और बाती नहीं, बल्कि सिहोरा की पीड़ा और वर्षों की अनदेखी की आग जल रही है। यह प्रदर्शन सिर्फ विरोध नहीं बल्कि सिहोरा के प्रति त्याग, समर्पण और प्रेम का प्रतीक है।समिति के सदस्यों ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि खून के दीए जलाना सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही पर प्रश्नचिन्ह है। जो सरकार स्वयं को जनता की बताती है, उसे यह समझना होगा कि आखिर सिहोरावासियों को इतना चरम कदम क्यों उठाना पड़ा।उन्होंने बताया कि आगामी 26 अक्टूबर को समिति के सदस्य भूमि समाधि सत्याग्रह आंदोलन करेंगे। यदि इसके बाद भी सरकार सिहोरा जिला गठन की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती, तो लोकतांत्रिक आंदोलन अलोकतांत्रिक मार्ग पर जाने को बाध्य होगा।आंदोलन में के.के. कुररिया, अनिल जैन, आशीष तिवारी, संतोष पांडे, राजभान मिश्रा, रामजी शुक्ला, मनोज पटेल, जितेंद्र श्रीवास, संतोष वर्मा, संजय पाठक, नरेंद्र गर्ग, विकास दुबे, रमेश कुमार पाठक, राजेश कुररिया, विनय तिवारी, शिवशंकर गौतम, बिहारी पटेल, एम.एल. गौतम, अनिल प्रभात कुररिया, आलोक नोगरिया, गुलशन सेठी, संदीप शुक्ला, बिट्टू कुररिया, राजू शुक्ला, घनश्याम बडगैंया, प्रदीप दुबे, राकेश पाठक ,मानस तिवारी,अमित बक्शी,सुशील जैन,गौरी हर राजे,अनिल खंपरिया और राजऋषि गौतम सहित बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद रहे।
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