शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन;मां ब्रह्मचारिणी की कथा

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*ज्योतिर्विद अंकशास्त्री और वास्तु विशेषज्ञ*
(ज्योतिर्विद निधि त्रिपाठी के अनुषार)मां ब्रह्मचारिणी, माता पार्वती का वह रूप हैं, जिन्होंने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। कथा के अनुसार, पर्वतराज हिमालय की पुत्री सती ने जब राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव को अपमान होते देखा, तो उन्होंने क्रोध और आहत भाव से अपने प्राण त्याग दिए।अगले जन्म में वे हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में अवतरित हुईं। बचपन से ही पार्वती को यह ज्ञात था कि उनका विवाह भगवान शिव से ही होगा।नारद मुनि ने भी माता हिमावती और राजा हिमालय को यह बताया कि पार्वती का भाग्य भगवान शिव के साथ बंधा है, लेकिन इसके लिए उन्हें कठोर तप करना होगा। माता पार्वती ने अपने निश्चय में अडिग रहते हुए तपस्या का मार्ग चुना।उन्होंने वर्षों तक केवल फल-फूल खासकर जीवन बिताया, फिर कई वर्षों तक केवल पत्तों पर निर्वाह किया और अंत में निराहार रहकर भी तर करती रहीं। उनकी यह कठिन साधना हजारों वर्षों तक चली। इस कठिन तप से उनके शरीर का रोम-रोम तप की आभा से चमकने लगा और उनका स्वरूप पूर्णत दिव्य हो गया।इसी कारण वे ब्रह्मचारिणी नाम से विख्यात हुईं। ‘ब्रह्म’ अर्थात तप और ज्ञान, तथा ‘चारिणी’ अर्थात आचरण करने वाली। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवता उन्हें आशीर्वाद देने आए। अंततः भगवान शिव ने उनके तप, धैर्य और भक्ति को स्वीकार करते हुए उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया।मां ब्रह्मचारिणी का यह स्वरूप त्याग, संयम, धैर्य और तपस्या का प्रतीक है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है। श्रद्धालु मानते हैं कि उनकी उपासना से मन में आत्मविश्वास, धैर्य और लक्ष्य के प्रति दृढ़ता आती है। जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है, और साधक को आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग मिलता है।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र व भोग
मंत्र

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः

या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

कम से कम 108 बार जाप करें। जाप के समय रुद्राक्ष या चंदन की माला का उपयोग करें। मां के स्वरूप का ध्यान करते हुए मन को पूर्ण एकाग्र रखें।

मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग

गन्ने का रस (मुख्य भोग)
मिश्री व शक्कर
सफेद मिठाई (रसगुल्ला, पेड़ा)
चमेली के फूल के साथ प्रसाद चढ़ाना शुभ माना जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के उपाय
आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए
मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग के फूल जैसे चमेली, गुलाब या मोगरा अर्पित करें। यह पवित्रता और शांति का प्रतीक है और मां को प्रसन्न करता है। साथ ही, इससे मां का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शारदीय नवरात्रि 2025 पर मनोकामना पूर्ति के लिए
नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन मां को गन्ने का रस मिश्री या शक्कर का भोग लगाएं। मान्यता है कि इससे मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती है।

मन की शांति के लिए
इस दिन ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। जाप के समय मन को एकाग्र रखें और मां के स्वरूप का ध्यान करें।

शारदीय नवरात्रि 2025 पर सकारात्मकता के लिए
इस दिन तप और संयम का संकल्प लें। मां ब्रह्मचारिणी तप और संयम की देवी हैं, इसलिए इस दिन किसी भी प्रकार का क्रोध झूठ या कटु वचन न बोलें।

सुख-शांति के लिए
इस दिन घर व परिवार में सुख शांति के लिए पूजा में घी के दीपक के साथ दूध का दीपक जलाएं। यह जीवन में सुख-शांति और मानसिक स्थिरता देता है।

आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए
इस दिन दो या पांच कुमारी कन्याओं को घर बुलाकर उन्हें भोजन और दक्षिणा दें। इससे मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
शारदीय नवरात्रि 2025 पर बेहतर स्वास्थ्य के लिए
इस दिन घर में सफेद वस्त्र या हल्के रंग के वस्त्र पहनने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और मां की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।

पापों से मुक्ति के लिए
इस दिन जरूरतमंदों को अन्न और मीठा वितरित करें। यह मां को अत्यंत प्रिय है और पाप नाशक माना जाता है। ऐसा करने से साधक सभी पापों से मुक्ति पा लेता है।

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*ज्योतिषी, अंकशास्त्री और वास्तु विशेषज्ञ*
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