
राम जन्म, सीता प्रकट और मुनि विश्वामित्र के आगमन की भावपूर्ण लीलाओं से रामलीला मंच हुआ जीवंत
राजेश मदान बैतूल। गंज स्थित रामलीला मैदान में श्री कृष्ण पंजाब सेवा समिति बैतूल के तत्वावधान में आयोजित 68वें वार्षिक रामलीला महोत्सव में सोमवार को दूसरे दिन की लीला अत्यंत भावनात्मक और भक्ति से परिपूर्ण रही। समिति के मीडिया प्रभारी राजेश मदान ने बताया कि इस दिन श्रीराम जन्म, सीता जन्म और मुनि विश्वामित्र के आगमन जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण प्रसंगों का मंचन किया गया, जिसमें दर्शक पूरी तरह भाव विभोर नजर आए।रामलीला का आरंभ अयोध्या नगरी की पृष्ठभूमि से हुआ, जहां अयोध्यापति राजा दशरथ की संतानहीनता की पीड़ा को अत्यंत मार्मिकता से मंचित किया गया। ऋषि वशिष्ठ द्वारा पुत्र यष्टि यज्ञ कराने की सलाह पर जब यज्ञ सफल होता है और अग्निदेव तीनों रानियों कौशल्या, कैकयी और सुमित्रा को दिव्य द्रव्य प्रदान करते हैं, तब राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म होता है। जैसे ही भगवान श्रीराम का जन्म होता है, पूरे मंच पर अयोध्या में उत्सव की जीवंत छवि सजीव हो उठती है। राजा दशरथ की आंखों से खुशी के आंसू बहते हैं और नगरवासी उल्लासित होकर दीप जलाते हैं। यह दृश्य दर्शकों की आंखों को नम और मन को भावविभोर कर गया।इसके पश्चात जनकपुरी की कथा मंचित हुई, जिसमें सूखे से परेशान राजा जनक खेतों में स्वयं हल चलाते हैं। नारद मुनि के कहने पर जब राजा जनक हल जोतते हैं, तब पृथ्वी से बालिका के रूप में सीता प्रकट होती हैं। राजा जनक उन्हें अपनी पुत्री रूप में स्वीकारते हैं और नारद मुनि द्वारा उनका नाम सीता रखा जाता है। इस दृश्य में जहां भावनात्मक छाया रही, वहीं दर्शकों ने इसे भी भक्ति भाव से सराहा।इसके बाद भगवान श्रीराम के बाल्यकाल की झलकियां मंच पर प्रस्तुत की गईं, जिसमें उनकी बाल लीलाएं दर्शकों को अत्यंत प्रिय लगीं। अंतिम दृश्य में मुनि विश्वामित्र अयोध्या पहुंचते हैं और राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को अपने साथ गुरुकुल ले जाने की इच्छा व्यक्त करते हैं। राजा दशरथ थोड़े विलंब के बाद यह प्रस्ताव स्वीकार करते हैं। जैसे ही राम और लक्ष्मण विदा होते हैं, अयोध्या में क्षणिक उदासी छा जाती है, परंतु धर्म और शिक्षा के पथ पर अग्रसर इन राजकुमारों की विदाई को सभी स्वीकार करते हैं।श्री कृष्ण पंजाब सेवा समिति के अध्यक्ष दीपक खुराना ने बताया कि रामलीला का मंचन प्रतिदिन रात्रि 9 बजे प्रारंभ हो रहा है, जिसे खजूरी, जिला सीधी के आदर्श श्री इंद्रलोक रामलीला मंडल के अनुभवी और पारंगत कलाकार प्रस्तुत कर रहे हैं। कलाकारों की अभिनय क्षमता, संवाद अदायगी और भाव-भंगिमाओं ने मंच को त्रेता युग की भांतिजीवंत कर दिया है। प्रत्येक पात्र ने अपनी भूमिका को पूर्ण समर्पण से निभाया, जिससे दर्शकों में आस्था और श्रद्धा की तरंगें दौड़ती रहीं।
श्री खुराना ने कहा कि श्री कृष्ण पंजाब सेवा समिति बैतूल द्वारा आयोजित यह रामलीला महोत्सव हर वर्ष की भांति इस बार भी दर्शकों को अध्यात्म, संस्कृति और धर्म की गहराइयों से जोड़ रहा है। बैतूल के रामलीला मैदान में इन भावपूर्ण प्रस्तुतियों को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और दर्शक उपस्थित हो रहे हैं।
मंगलवार से रामलीला
रामलीला में मंगलवार 23 सितंबर को यज्ञ रक्षा, ताड़का वध, अहिल्या उद्धार का मंचन होगा। समिति ने धर्मप्रेमी जनता से नयनाभिराम प्रसंगों का लाभ लेने का आग्रह किया है।
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