पूर्णिमा को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण,भारत सहित सभी दृश्यमान क्षेत्रों में रहेगा सूतक काल

ज्योतिर्विद अंकशास्त्री और वास्तु विशेषज्ञ,ज्योतिर्विद निधि त्रिपाठी के अनुषार,दूसरा चंद्र ग्रहण 2025 – खग्रास चंद्रग्रहण
तिथि दिन तथा दिनांक*- –
भाद्रपद मास,शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा ,तिथि,
रविवार/सोमवार, 7/8 सितम्बर,2025
चंद्र ग्रहण प्रारंभ समय (भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार) चंद्र ग्रहण समाप्त समय दृश्यता का क्षेत्र,रात्रि 21:57 बजे से मध्यरात्रि उपरांत 25:26 बजे तक (8 सितंबर की प्रातः 01:26 बजे तक) भारत समेत संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी क्षेत्र,यह चंद्र ग्रहण साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण होगा लेकिन यह विश्व के अनेक क्षेत्रों के साथ-साथ भारत में भी दृश्यमान होगा इसलिए भारत सहित सभी दृश्यमान क्षेत्रों में इसका सूतक काल मान्य होगा। इस ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर 2025 को दोपहर 12:57 से प्रारंभ हो जाएगा और ग्रहण की समाप्ति तक चलेगा।
खग्रास चंद्र ग्रहण
यह चंद्र ग्रहण भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा, रविवार, 7 सितंबर 2025 को रात्रि के 21:57 बजे शुरू होगा जो मध्य रात्रि उपरांत 25:26 बजे यानी कि 28 सितंबर 2025 की प्रातः 1:26 बजे तक चलेगा। यह एक खग्रास चंद्र ग्रहण होगा। यह चंद्रग्रहण भारत समेत संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी क्षेत्रों में प्रमुखता से दिखाई देगा। यह खग्रास चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में घटित होगा। चंद्रमा के साथ राहु और चंद्रमा से सप्तम भाव में सूर्य, केतु और बुध विराजमान होंगे। चंद्रमा से अष्टम भाव में मंगल और छठे भाव में शुक्र, चंद्रमा से पंचम भाव में बृहस्पति और दूसरे भाव में शनि विराजमान होंगे।
इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव गहन होगा। हालांकि, बृहस्पति की दृष्टि चंद्रमा पर होने के कारण कुछ हद तक प्रभाव में कमी भी हो सकती है। कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे लोगों को विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि उनके लिए यह ग्रहण अनिष्टकारी हो सकता है।इस प्रकार चंद्र ग्रहण 2025 की बात करें, तो वर्ष 2025 के दौरान कुल मिलाकर विश्व पटल पर दो चंद्र ग्रहण लगेंगे और दोनों ही चंद्र ग्रहण पूर्ण ग्रहण होंगे जिनमें से पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च 2025 को लगेगा जो भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को लगेगा जो भारत में भी दिखाई देगा। ग्रहण से संबंधित सूतक काल कब लगेगा और उसका क्या प्रभाव होता है, यह हम सब कुछ आपको ऊपर बता चुके हैं।
चंद्र ग्रहण 2025 के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
जब भी चंद्र ग्रहण लग रहा हो या चंद्र ग्रहण का सूतक काल चल रहा हो तब हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जिनमें से कुछ कार्य करने चाहिए और कुछ कार्य नहीं करने चाहिए, इन सभी के बारे में आप निम्न प्रकार समझ सकते हैं:
ग्रहण के सूतक काल से लेकर ग्रहण काल के दौरान स्नान करना चाहिए। इस दौरान दान, जप, स्तोत्र पाठ, मंत्र जाप, मंत्र सिद्धि, तीर्थ स्थान पर स्नान, हवन ध्यान, आदि शुभ कार्य कर सकते हैं।सूर्य के अस्त होने से पूर्व अपनी राशि के अनुसार सफेद वस्त्र, चावल, अन्न, जल, ऋतु फल, आदि दान योग्य वस्तुओं का संग्रह करें और दान करने का संकल्प कर लें।ग्रहण के अगले दिन 8 तारीख को प्रातः काल सूर्योदय के समय पुनः स्नान करने के बाद संकल्प ली हुई सामग्री अथवा वस्तुओं को किसी योग्य ब्राह्मण को दान कर दें।
भले ही चंद्र ग्रहण रात्रि में समाप्त हो, यदि आप सक्षम हैं तो आपको रात्रि में भी ग्रहण के मोक्ष के उपरांत तुरंत स्नान करना चाहिए।सूतक काल और ग्रहण काल के दौरान मूर्तियों को स्पर्श नहीं करना चाहिए।ग्रहण के सूतक काल से ग्रहण के मोक्ष तक किसी से झूठ न बोलें, किसी के साथ कपट न करें और व्यर्थ की चुगलियां न करें।इस दौरान अनावश्यक खान-पान करने और सोने से बचें।चंद्र ग्रहण के सूतक काल के दौरान किसी भी प्रकार का मैथुन, आदि कार्य न करें।
सूतक काल के दौरान तेल मालिश न करें। इस दौरान न तो नाखून काटें, न दाढ़ी बनाएं और न ही बाल कटवाएं।
चंद्र ग्रहण 2025 के सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को सब्जियां या कोई अन्य पदार्थ काटने, छीलने, बुनने, पापड़ सेंकने, आदि कार्यों से परहेज़ करना चाहिए।इस दौरान गर्भवती महिलाओं को धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना चाहिए और प्रसन्नचित्त रहना चाहिए। इससे उनकी संतान स्वस्थ होगी और उसके अंदर अच्छे गुणों का विकास होगा।
ग्रहण काल और उसके मोक्ष के तुरंत बाद तीर्थ स्थानों जैसे कि वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार, अयोध्या या अन्य तीर्थ स्थानों पर स्नान करने का विशेष महत्व है।
सूतक काल के दौरान भोजन पकाने से बचें और इस दौरान संभव हो तो भोजन भी ग्रहण न करें।सूतक काल लगने से पहले ही कुशा और तुलसी पत्र ऐसी वस्तुओं में डाल देना चाहिए जो ग्रहण काल के उपरांत प्रयोग की जानी हों जैसे कि दूध, दही, अचार, चटनी, मुरब्बा, घी, आदि। ऐसा करने से वह दूषित नहीं हो होते हैं।ग्रहण काल के स्पर्श के समय स्नान करना चाहिए।ग्रहण काल के मध्य में होम तथा ईश्वर पूजन, आदि कार्य करने चाहिए।ग्रहण के मोक्ष के समय में श्राद्ध, अन्न, वस्त्र, धन, आदि का दान करना चाहिए।ग्रहण काल के दौरान श्री महामृत्युंजय मंत्र का यथासंभव जाप करना चाहिए।चंद्र ग्रहण 2025 के दौरान चंद्रमा के मंत्र का भी जाप करना चाहिए।चंद्र ग्रहण 2025 के दौरान कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से अत्यंत लाभ मिलता है ये मंत्र इस प्रकार हैं:-
तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन। हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥१॥
इस श्लोक का अर्थ यह है कि अन्धकार रूप महाभीम चन्द्रमा और सूर्य का मर्दन करने वाले राहु! सुवर्ण तारा के दान से मुझे शान्ति प्रदान कीजिए।
विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत। दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥
चंद्र ग्रहण का सूतक कब लगता है?
चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पूर्व लग जाता है।
किन ग्रहों की वजह से ग्रहण लगता है?
छाया ग्रह राहु और केतु ग्रहण लगाते हैं।
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