
सिहोरा में अवैध कॉलोनियों का मकड़ जाल,28 मे से 20 हुई वैध
जबलपुर/सिहोरा:सम्पूर्ण नगर में अवैध कॉलोनियों का मकड़जाल फैल चुका हैं।लोगों ने अपने आशियाने के सपनों को साकार करने जीवन भर की कमाई लगाकर घर तो बना लिया लेकिन मुलभूत सुविधाओं के अभाव में नरकीय जीवन जीने मजबूर हैं। सरकारी अमले एंव भुमाफियाओ की मिली भगत से बसाहट से लगे हुए छोटे छोटे हरे भरे खेत के टुकड़ों को वगैर किसी प्लानिंग के प्लाटों में काटकर रजिस्टर्ड बैनामा कर बेचा जा रहा है। अगर विभाग की पिछले सालो की कार्यप्रणाली पर नजर डाले तो साफ पता चलता है कि अवैध निर्माण के खिलाफ तोड़फोड़ की कार्रवाई महज औपचारिकता है। हैरान परेशान करने वाली बात तो यह है कि नगर में अवैध कालोनियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों तरफ तो सारे नियमों को दर किनार करते हुए भुखण्डो की खरीदी बिक्री बेरोकटोक जारी है।भुमाफियाओ के होसले इतने बुलन्द है की नगर सीमा के सिहोरा-जबलपुर, कटनी, मझोली, मझगवा,उमरियापान मार्ग के अलावा पड़ोसी ग्राम पंचायत घाट सिमरिया मोहसाम, गुनहरु, बरगी, कुर्रे, पिपरिया दर्शनी,बरेली, हरगढ़ जुनवानी सहित अनेक ग्रामो में दिनदहाड़े अवैध कॉलोनी को मूर्त रूप दिया जा रहा है।
*प्रशासन की चुप्पी के चलते भू माफिया काट रहे चांदी*
नगर में अवैध कॉलोनियों का जाल बिछा हुआ है। जहां कृषि भूमि पर ही बिना डायवर्सन के भू-खंड काट दिए गए हैं। पंजीयक विभाग से नगर परिषद तक अपने रसूख का दुरुपयोग कर बिना अनुमति के कॉलोनियां बसाई जा रही हैं। जिन पर न हल्का पटवारी की नजर जाती है न ही तहसीलदार की। प्रशासनिक स्तर पर कोई सख्ती नहीं बरती जा रही है।
सरकारी राजस्व की हानि करवा रहे कॉलोनाइजर
बताया जाता है की नियम अनुसार रजिस्टार ऑफिस में कोई भी भू-स्वामी तीन प्लॉट से ज्यादा नहीं बेच सकता। लेकिन हकीकत में कॉलोनाइजर औने-पौने दाम पर विवादित कृषि भूमि खरीद 1500 से 3500 रुपए वर्ग फीट से प्लॉट बेच रहे हैं। रजिस्ट्री के मान से तहसील में नामांतरण हो रहें है।तहसील से नामांतरण के साथ ही नगर परिषद में नामांतरण निर्माण मंजूरी मिल जाती है। सभी दस्तावेजों के आधार पर निजी बैंक से लोन मिल जाता है। यह सभी काम कॉलोनाइजर खुद करवा रहे हैं।
*28 में 20 वैध आधो ने भी जमा नहीं किया विकास शुल्क*
शासन ने भुमाफिया द्वारा छले गये लोगों को राहत दिलाने एंव बेहतर राजस्व के लिए शिकंजा कसते हुए नगर की अवैध बसाहट का सर्वे कर 28 कालोनियो को चिन्हित किया जिसमें से 20 कालोनी ऐसी पाई गई जिन्हें कॉलोनाइजर द्वारा विकास शुल्क जमा कर बैध किया जा सकता है लेकिन आधे से भी ज्यादा कॉलोनाइजरों में भूखंड बेचकर लाखो रुपए कमा लिए लेकिन विकास शुल्क जमा करने में आनाकानी कर रहे हैं। जिसके कारण कॉलोनियों में मुलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के दावे तो किए जाते हैं लेकिन रसूखदार और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त प्रभावी लोग अपने रसूख के दम पर कॉलोनियां काटकर, और अपनी मनमानी करते हैं।
*आठ कालोनी ग्रीन जोन में तन गई
कार्यालय कलेक्टर की पत्र क्रमांक 404 दिनांक 23 8 2023 में प्रकाशित अवैध कालोनियों में नगर पालिका सिहोरा अंतर्गत वार्ड क्रमांक 2 के खसरा नंबर 1436/2, 1439/1, 1440/1, वार्ड क्रमांक 7 में 155/1,155/2, वार्ड नंबर 8 में 1195/1, वार्ड क्रमांक 11 में 1501/1, 1508/3, 1508/2 1508 /2 एवं 1339/1, वार्ड नंबर 14 में 191/8 वार्ड क्रमांक 17 में 281 / 18 के ग्रीन लैण्ड एरिया में अबैध कॉलोनी विकसित करना पाया गया है।
*पहले से बनीं कॉलोनियों में नहीं है सुविधाएं*
नगर के सभी वार्डों की नई बसाहट के वाशिंदों के लिए आवागमन के लिए सड़क तक उपलब्ध नहीं पानी निकासी बिजली तक की व्यवस्था न होने के बावजूद अवैध प्लाटिंग का कारोबार फल फूल रहा है। क्षेत्र में प्रशासनिक सक्रियता न होने का लाभ उठाते हुए भू माफिया लगातार लोगों को लूट रहे हैं। इस संदर्भ में अनुविभागीय अधिकारी सिहोरा से दुरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया गया किंतु संपर्क नहीं हो सका।
इनका कहना है,
टाउन एंड कंट्री द्वारा चारी गाइडलाइन के अनुसार ग्रीनलैंड में कॉलोनी विकसित करने वालों को नोटिस जारी किए गए हैं एवं सक्षम अधिकारी को भी पत्राचार द्वारा अवगत कराया गया है।
शैलेंद्र ओझा
मुख्य नगर पालिका अधिकारी सिहोरा
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