वर्षा के अभाव मैं धान की बोवनी से पिछड़ रहे किसान साथ ही प्रभावित हो रही फसल

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद ;बहोरीबंद विकासखण्ड में इस बार शुरुआती दौर पर झमाझम बारिश होने से किसानों के चेहरों मैं खुशियां आई। जुलाई माह के प्रथम सप्ताह मैं हुई बारिश से किसानों ने खरीफ सीजन की ओर रुख किया।
बारिश होने से इस बार धान लेई की ओर किसानों ने रुख किया।निर्धारित लक्ष्य 25 हजार हैक्टेयर मैं से 6 हजार हैक्टेयर मैं धान लेई बोवनी की गई यानि खेतो मैं जलभराब होने से सीधे मचौनी कर बुवाई करा दी गई।लेकिन विगत एक सप्ताह से बारिश न होने के कारण धान की फसल प्रभावित हो रही है साथ जो रकबा शेष बचा है उसमें रोपा लगाने किसान परेशान हो रहे है।जुलाई का महीना लगभग बीतने को है और वर्तमान में अभी भी बड़ी संख्या में किसान अपने खेतों में रोपा लगाने का काम कर रहे हैं। कृषि विभाग से मिली जानकारी अनुसार अब तक की स्थिति में विकासखण्ड में कुल धान के रकबे में मात्र 70 प्रतिशत क्षेत्र में बुआई का काम पूरा हो सका है। शेष जो रकबा बचा है उसमें रोपा लगाया जाना है।वहीं धान की रोपाई के लिए मजदूर नहीं मिलने से भी खेती का कार्य पिछड़ रहा है।

बारिश के बीच निकल रही धूप से परेशानी

बहोरीबन्द विकासखण्ड में सावन माह मे बारिश ने जोर तो पकड़ा है लेकिन विकासखण्ड के सभी स्थानों में यह बारिश समान रूप से नहीं हो रही है कहीं ज्यादा तो कहीं कम बारिश होने से किसान परेशान हो रहे हैं।वर्तमान मे वर्षा अभाव के कारण पौधों का विकास रुक गया है।अब तक बहोरीबन्द तहसील मैं 567 मिमी.स्लीमनाबाद मैं 767 मिमी.बारिश दर्ज की गई है।कृषक पवन यादव,राकेश साहू, अरविंद हळदकार, धर्मेंद्र हळदकार का कहना है कि सावन के लगते ही बारिश तो शुरू जरूर हुई है, लेकिन बारिश लगातार नहीं हो रही है, एक दिन की बारिश के बाद दो-तीन दिन धूप निकल जाने से खेतों में बनी सारी नमी समाप्त हो जाती है। विशेष रूप से धान की फसल के लिए खेतों में न केवल नमी बल्कि खेतों में कम से कम एक से डेढ़ फिट तक पानी भरा होना चाहिए, लेकिन बारिश लगातार नहीं होने से सभी जगह खेतों में पानी नहीं भर पा रहा है।

10 घण्टे की जगह 7 घण्टे ही मिल रही बिजली

बारिश न होने की स्थिति मे कृषक निजी बोरवेलों के सहारे खेतो मैं सिंचाई कर खेतो को रोपा लगाने तैयार कर रहे है।लेकिन कृषि बिजली निर्धारित 10 घण्टे की जगह मात्र 7 घण्टे ही आपूर्ति हो रही है।जिससे किसानों को परेशान होना पड़ रहा है।दिन के समय की बिजली आपूर्ति की जा रही है व रात्रि की कटौती की जा रही है।7 घण्टे की बिजली भी जो मिलती उसमे भी बार बार ट्रिपिंग की जा रही है।जिससे कृषक जो सिंचाई खेतो मैं करते है जमीन मैं पानी समा जाता है।खेतो मैं पर्याप्त पानी नही भर पाता।इस संबंध मे बहोरीबंद विकासखण्ड कृषि विभाग के एसएडीओ आर के चतुर्वेदी ने कहा कि वर्तमान समय मैं वर्षा अभाव के चलते कृषक धान खेतो मैं बने पानी निकास द्वार बंद कर दे एवं फसलों मैं जैविक खाद तथा शत प्रतिशत प्राकृतिक घास से बनी खाद का प्रयोग करें।रासायनिक खादों मैं बोरी वाली दानेदार यूरिया,डीएपी,सुपर फास्फेट,पोटाश का प्रयोग न करें।उर्वरकों की पूर्ति हेतु नैनो,डीएपी,नैनो यूरिया तथा जल विलेय उर्वरकों का फसलों मैं छिड़काव करें।जिससे फसल नुकसान को बचाया जा सकता है!

 

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