1024 अर्घ्य किये गए समर्पित, पूजा- विधान के साथ शांतिधारा हुई आयोजित

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बहोरीबंद – दुनिया मे कोई अपना नही होता सम्पति,संबंधी,शरीर इन तीनो से हम ज्यादा प्यार करते है फिर भी साथ  लेकर कोई नही जावेगा! हमारे संस्कार हमारा धर्म ही हमारे साथ जावेंगे! हमारा धर्म ही हमारा सच्चा साथी है!धर्म और संस्कार लेकर चलोगे तो सद्भव संभव है! उक्त आशय के सारगर्भित उद्गार बाकल में चल रहे श्री 1008 सिद्ध चक्र महामंडल विधान के अवसर पर बाल ब्रह्मचारी अंकित भैया ने धर्म सभा में व्यक्त किया! आगे उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में बदला लेने नहीं बदल जाने में आनंद है!
अनंत सिद्ध परमात्माओं की आराधना का महापर्व सकल जैन समाज द्वारा आयोजित श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का समापन सिद्ध परमात्मा का स्मरण करते हुए 1024 अर्घ समर्पित किए गए! अंतिम दिवस की बेला में आराधना के हेतु उत्तम पात्रों का चयन किया गया!
जिसमें मैना सुंदरी श्रीपाल, सोधर्मेंद्र ,ईशान इंद्र, सनत इंद्र, महेंद्र ,ब्रह्मेंद्र ,ब्रह्म उत्तर इंद्र यज्ञ नायक ध्वजारोहण कर्ता विधि नायक आदि पात्र अपने-अपने वाहनों में धर्म ध्वजा लेकर धर्म प्रभावना हेतु वाद्य यंत्रों एवं जयघोष के साथ नगर भ्रमण किया!
भगवान आदिनाथ एवं मां जिनवाणी की भव्य जुलूस लेकर शोभायात्रा के साथ नगर भ्रमण में निकले! जहां नगर वासियों द्वारा जगह-जगह द्वार -द्वार रंगोली डालकर आरती पूजन वंदन किया गया!
सिद्ध चक्र मंडल समापन दिवस पर अंकित भैया के परम सानिध्य में प्रातः अभिषेक शांतिधारा सामूहिक पूजन रिद्धि मंत्रों के साथ हवन एवं हवन की उपयोगिता पर सूक्ष्म विश्लेषण शुद्ध भावनाओं के साथ मंडप विसर्जन आदि के कार्यक्रम भक्ति भाव के साथ संपन्न किए गए!
इस दौरान नरेंद्र सिंघई, अनुराग सिंघई,अनिल सिंघई, गिरीश सिंघई, पवन मोदी, अजय अहिंसा,अशोक सिंघई, सुरेन्द्र सिंघई,विमल सिंघई, संजय सिंघई,
समाज अध्यक्ष जीवनधर मोदी, आनंद जैन, प्रखर मोदी, विनीत सिंघई  सहित बड़ी संख्या में सकल जैन समाज  की उपस्थिति रही!


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