बिरसा मुंडा एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं बल्कि थे एक समाज सुधारक
सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद -स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय स्लीमनाबाद मे बिरसा मुंडा की 150 जयंती पर संगोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया गया!संगोष्ठी का शुभारंभ बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन ओर माल्यार्पण से हुआ!राज्य स्तरीय कार्यक्रम का सीधा प्रसारण भी देखा गया!
इस दौरान प्राचार्या डॉ सरिता पांडेय ने बिरसा मुंडा के संघर्ष ओर बलिदान को याद करते हुए कहा कि वे आदिवासी समाज के अधिकारों के प्रतीक ओर ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांति के नायक थे! उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ उलगुलान आंदोलन का नेतृत्व किया और भारत में जनजातीय लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। यह दिन जनजातीय विरासत, संस्कृति और भारत के इतिहास में जनजातीय समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मानित करने का अवसर है।डॉ प्रीत नेगी ने कहा कि बाल्यावस्था में ही बिरसा मुंडा ने अपने लोगों पर विदेशी शासकों और जमींदारी प्रथा के अन्यायपूर्ण व्यवहार को देखा।इस अन्याय ने उनके भीतर जनजातीय समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ने का मजबूत संकल्प जगाया।
बिरसा मुंडा केवल एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक सुधारक भी थे।उन्होंने जनजातीय समाज से कुप्रथाओं, अंधविश्वासों और नशे की आदतों को हटाने के लिए काम किया।अपने अनुयायियों को एकता, शिक्षा और सत्यनिष्ठा का संदेश दिया।बिरसा मुंडा आदिवासियों के भगवान हो गए ओर उन्हें धरती आबा कहा जाने लगा!वही डॉ प्रीति यादव ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के आदर्श न केवल जनजातीय, बल्कि देश के सभी समुदायों के युवाओं के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत हैं।बिरसा मुंडा ने सामंती व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन किया था। उन्होंने जमींदारी प्रथा और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ी। बिरसा ने मुंडा आदिवासियों को जल, जंगल की रक्षा के लिए प्रेरित किया और उलगुलान नाम से एक आंदोलन की शुरुआत की। यह आंदोलन अंग्रेजी शासन और मिशनकारियों के खिलाफ था!इस दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी डॉ रंजना वर्मा, क्रीड़ा अधिकारी डॉ शैलेन्द्र जाट, डॉ भारती यादव, डॉ अशोक पटेल, अनिल शाक्य, अंजना पांडेय, गोरेलाल यादव, कमलेश चौधरी सहित छात्र -छात्राओं व महाविद्यालय स्टॉफ की उपस्थिति रही!