नर्सिंग काॅलेज घोटाले के बाद आरजीपीवी में भी घोटाला

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जबलपुर : पत्रकारवार्ता कर अभिभावक मंच तथा नागरिक उपभोक्ता मंच द्वारा यह बड़ा खुलासा किया गया कि नर्सिंग काॅलेज घोटाले की तर्ज पर प्रदेश में राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय से संबंधित निजी इंजीनियरिंग काॅलेजों द्वारा भी मान्यता तथा संचालन के नियमों का घोर उल्लंघन कर फर्जी तरीके से काॅलेज संचालित किये जा रहे हैं।गौरतलब है कि अभी हाल में ही मध्य्रप्रदेश में नर्सिंग काॅलेज फर्जीवाड़ा, पैरामेडिकल काॅलेज की समबद्धता तथा मान्यता संदर्भ में बड़े घोटाले उजागर हुये थे इसी तर्ज पर मध्यप्रदेश में संचालित निजी इंजीनियरिंग काॅलेजों द्वारा फर्जी तरीके समबद्धता तथा मान्यता प्राप्त की जा रही है न ही ए.आई.सी.टी.ई. और न ही स्वयं आरजीपीवी द्वारा निर्धारित नियमों का पालन किया जा रहा है।आरजीपीवी द्वारा आंख बंद करके मान्यता प्राप्त की जा रही है।

क्या है पूरा मामला ?

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मनीष शर्मा प्रदेश अध्यक्ष मंच ने बताया कि ए.आई.सी.टी.ई. द्वारा निर्धारित शिक्षक छात्र अनुपात बी.टेक. हेतु 1 अनुपात 15, एम.टेक. हेतु 1 अनुपात 15 तथा एम.सी.ए. हेतु 1 अनुपात 20 (।चचतवअंस चतवबमेे ींदक इववा 2023.24 ।ददमगनतम 7 ब्संनेम 7ण्1ए 7ण्2 ंदक 7ण्3) के अनुसार, परंतु काॅलेजों के द्वारा इनका पालन नही किया जा रहा है। फैकल्टी कैडर रेशों इंजीनियरिंग कोर्सेस हेतु 1 प्रोफेेसर, 2 एसोसियेएट प्रोफेसर तथा 6 अस्सिटेंट प्रोफेसर होना चाहिए परंतु ऐसा नही किया जा रहा। काॅलेजों की बेबसाईट पर फेक फैकल्टी लिस्ट प्रदर्शित की जा रही है। प्रयोगशालाओं में 15 विद्यार्थियों पर एक टीचर होना चाहिए परंतु ऐसा नही है। काॅलेजों में समस्त छात्रों की चिकित्सीय जांच भी अनिवार्य है जो नही की जाती। आरजीपीवी के ैजंजनम 30 च्ंतज ट 20;1द्धं के अनुसार टीचर्स की नियुक्ति हेतु विस्तृत विज्ञापन दिया जाना चाहिए परंतु इसका पालन नही किया जाता ैजंजनम 30 च्ंतज ट 20;4द्ध के अनुसार किसी भी परिवर्तन तत्काल आरजीपीवी को देना चाहिए परंतु नही दी जाती। फर्जी विज्ञापनों एवं प्लेसमेंट के सब्जबाग दिखाकर विद्यार्थियों को प्रलोभन में लाया जाता है। प्रदेश में 192 निजी इंजीनियरिंग महाविद्यालय संचालित किये जा रहे है जिनमें नियमानुसार इंफ्रास्टक्चर उपलब्ध नही है फिर भी इनकों हर साल आरजीपीवी द्वारा संबद्धता एवं मान्यता दे दी जाती है।प्रफुल्ल सक्सेना तथा राकेश चक्रवर्ती ने बताया कि प्रमाण स्वरूप जबलपुर में स्थित ज्ञानगंगा इंस्टीट्यूट के दोनों महाविद्यालय जी.जी.आई.टी.एस. एवं जी.जी.सी.टी. द्वारा फर्जी तौर पर बेबसाईट में शिक्षकों की संख्या बतायी गयी है ए.आई.सी.टी.ई. के नियमानुसार दोनों काॅलेज में 325 फैकल्टी सदस्य होना चाहिए इसकी पूर्ति हेतु ज्ञान गंगा ग्रुप द्वारा फर्जी सूची शिक्षकों की जारी की गयी बहुत से शिक्षक महाविद्यालय में कार्यरत बताये गये जबकि वास्तविकता में वह कार्यरत हैं ही नही, कुछ तो विदेशों में निवास करते है और कुछ की मृत्यु तक हो गयी है। मैनेजमेंट ग्रुप में कुछ दोषी आपराधिक मामलों में सदस्य बने हुये है। नियुक्ति हेतु विज्ञापन में भी नियमों का पालन नही किया गया।उपरोक्त महाविद्यालय के संदर्भ में दैनिक भास्कर तथा त्रिपुरी टाइम्स, न्यूज मीडिया ने कई बार अनियमितताओं संबंधी खबरे प्रकाशित की गयी जिस पर आरजीपीवी द्वारा कोई संज्ञान नही लिया गया न ही इसकी कोई जांच की गयी। उसके अतिरिक्त छात्रों के संगठन युवा क्रांति संघ द्वारा 282 दस्तावेजों सहित शिकायत भी की गयी जिस पर भी कोई संज्ञान नही लिया गया।उपरोक्त प्रमाण से स्पष्ट है कि आरजीपीवी द्वारा प्रदेश में संचालित निजी इंजीनियरिंग महाविद्यालयों कोई येनकेन प्रकारेण संबद्धता एवं मान्यता प्रदान की जा रही है जिसमें भ्रष्टाचार होने की प्रबल संभावना है नर्सिंग काॅलेजों की मान्यता घोटाले की तर्ज पर आरजीपीवी द्वारा मान्यता प्राप्त निजी इंजीनियरिंग काॅलेजों की जांच सीबीआई से करवाने की अतिआवश्यकता है। उपरोक्त संदर्भ में पूर्व में भी विभिन्न संस्थाओं द्वारा शिकायतें की जा चुकी है तथा समाचार पत्रों में पर्याप्त सबूतों सहित खबरे प्रकाशित हो चुकी है इसलिए ऐसा नही माना जा सकता की आरजीपीवी के संभावित भ्रष्टाचार से हाई अथाॅरिटी अनभिज्ञ है ऐसी स्थिति में जबकि आरजीपीवी में एफ.डी. घोटाला सामने आ चुका है।

उच्च न्यायालय में दायर की गई है जनहित याचिका 

माननीय उच्च न्यायालय में याचिका की शीघ्र सुनवायी
संघ के विनोद पाण्डे, नरेश पेशवानी, मयंक राज, अंकित गोस्वामी, जाहिद खान आदि सदस्यों ने बताया कि लगातार शिकायतों के पश्चात् शासन तथा आरजीपीवी द्वारा कोई कदम नही उठाये गये फलस्वरूप संघ द्वारा उपरेाक्त मामले को लेकर जनहित याचिका माननीय उच्च न्यायालय में दायर की गयी जिस शीघ्र सुनवायी संभावित है।

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