माताओं ने संतान की दीर्घायु व मंगल कामना के लिए रखा हलषष्ठी व्रत

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद; तहसील कमुख्यालय स्लीमनाबाद सहित ग्रामीण अंचलो मे रविवार को हलषष्ठी व्रत ओर भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भ्राता भगवान बलराम की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गईं!

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संतान की दीर्घायु की कामना

माताओं ने संतान की दीर्घायु कामना के भाद्रपद मास की छठी तिथि पर हलषष्ठी व्रत रखा व विधि विधान से हलषष्ठी पूजा अर्चना की गई।विशेष पूजा अर्चना के साथ परिवार की सुख, समृद्धि, यश, कीर्ति की कामना की!हलषष्ठी व्रत पर महिलाओं ने सुबह से ही स्नानादि से निवृत्त होकर हलषष्ठी व्रत धारण करने का संकल्प उत्तराभिमुख होकर लिया।मध्यान्ह काल मे पलाश ,कांस एवं कुश के नीचे भगवान शिव पार्वती स्वामी कार्तिकेय एवं गणेश जी की मूर्ति स्थापित करके धूप दीप पुष्प आदि से भक्तिभाव से पूजा सम्पन्न की गई।

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दूध दही व घी के लिए लगी रही लोगों की कतार 

व्रत धारी महिलाओं ने बताया कि हलषष्ठी की पूजा पर पसई के चावल,चना,मक्का,ज्वार, लाई व भैस के दूध व गोबर का विशेष महत्व रहता है।सुबह से ही ब्रजधाम कोहका मैं पड़ा बच्चे वाले भैस के दूध दही व घी के लिए लोगबड़ी संख्या मे पहुँचे।

पवित्र सरिता,सरोवरों मैं स्नान कर व्रत की सुरुवात 

महिलाओं ने सुबह पवित्र सरिता,सरोवरों मैं स्नान किया।महुआ की मुखारी की व सामूहिक रूप से बैठकर पूजन अर्चन किया गया।पूजा अर्चना के बाद व्रतधारी माताओं ने महुआ की चाय व पसई के चावल का सेवन किया तथा कुँवारी कन्याओं को बॉस की टोकनी मैं लाई,नारियल ,महुआ,चना ,लाई आदि प्रसाद के रूप मे वितरण किया।हलषष्ठी व्रत पर स्लीमनाबाद तहसील के सिंहवाहिनी मंदिर,हरिदास मंदिर,शिव मंदिर,बाबा गढ़ धाम मैं व्रत धारी महिलाओं ने पूजन अर्चना की तो वही घरो पर भी हलषष्ठी व्रत पूजन पंडितों के द्वारा कराया गया।पंडित रमाकांत पौराणिक ने बताया कि यह व्रत वही महिलाएं करती है जिनके पुत्र होते है।महिलाएं इस दिन ऐसे खेत व जमीन मैं पैर तक नही रखती जहां हल चला हो।बलराम जयंती पर होने वाले इस पर्व पर हल की पूजा की जाती है।बलराम जी को हलधर कहा गया है।उनकी जयंती के दिन हलषष्ठी नाम से यह पर्व मनाया जाता है।

महिलाओ ने खरीदी पूजन सामग्री 

पर्व को लेकर शनिवार व रविवार को भी बाजार गुलजार नजर आये!बड़ी संख्या मे महिलाओ ने पूजन सामग्री खरीदारी करते नजर आई!

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