5 वर्षो से तालों मैं कैद मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, शोभा की सुपारी बने उपकरण

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद : खेती को लाभ का धंधा बनाकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाये जाए इसके लिए जिस उद्देश्य के साथ बहोरीबंद विकासखण्ड मुख्यालय मैं वर्ष 2017-18 मृदा परीक्षण प्रयोगशाला भवन बनाया गया वह 5 वर्षो बाद भी महज दिखावा बनकर रह गया है।5 वर्षो के बाद भी उक्त मृदा परीक्षण प्रयोगशाला भवन तालों मैं कैद है। निर्माण के बाद से भवन बंद व अनुपयोगी है। जिसके कारण क्षेत्र के किसानों को सरकार के द्वारा व्यय की गई लाखों रुपए की राशि का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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तकनीकी स्टाफ की नही हुई पदस्थापना-

25 लाख रुपये की लागत राशि से निर्मित मृदा परीक्षण प्रयोगशाला भवन मैं मिट्टी के सैंपल लेने के लिए सभी उपकरण तो मौजूद है ,लेकिन शासन स्तर से तकनीकी स्टाफ की पदस्थापना नही की गई है।जिससे आज तक एक भी मिट्टी के सैंपल नही लिए जा पाए।मिट्टी के सैम्पल अभी भी जांच के लिए जिला मुख्यालय कटनी जा रहे है।किसानों की मांग है कि भवन अति शीघ्र प्रारंभ किया जाए ताकि बहोरीबंद में ही खेतों की मिट्टी के सैंपल की जांच का लाभ किसानों को मिल सके। तथा मिट्टी की उर्वरता के संबंध में सलाह भी प्राप्त हो सकें।

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35 हजार किसान, 2500 का आया लक्ष्य-

बहोरीबंद विकासखण्ड क्षेत्र मे रबी सीजन कृषि कार्य पूर्ण हो गया है।दो माह बाद खरीफ सीजन का कृषि कार्य होगा।
विकासखण्ड में लगभग 35 हजार किसान हैं। लेकिन वर्तमान में मात्र 2550 किसानों के खेतों की मिट्टी के ही सैंपल लेने का लक्ष्य आया है।क्योंकि जिला मुख्यालय मैं हजारों की संख्या में मिट्टी सैम्पल प्रतिवर्ष परीक्षण के लिए आते हैं जिससे जांच मैं अधिक समय लगता है ।जबकि यदि बहोरीबंद विकासखण्ड मुख्यालय की प्रयोगशाला शुरू हो जाये तो समय मैं सैम्पल की जांच हो जाएगी व किसान अच्छी तकनीक से खेती कर सकेंगे।

प्रयोगशाला का उद्देश्य अधूरा-

कृषक हेमराज यादव,राकेश साहू,अनुग्रह यादव,रामनारायण यादव ने कहा कि प्रयोगशाला बनाने के पीछे सरकार का उद्देश्य था कि प्रत्येक सीजन के पूर्व खेतों की मिट्टी के सैंपल लिए जाएं। ताकि जांच से यह पता लगाया जा सके कि किस खेत की मिट्टी में कौन से पोषक तत्व की कमी है। एवं संबंधित किसान को सलाह दी जा सके कि उसे अपने खेत में अच्छी उपज के लिए किस पोषक तत्व से युक्त दवा का उपयोग करना है। लेकिन इस लक्ष्य की प्राप्ति से ब्लॉक पिछड़ा हुआ है। तथा क्षेत्र के किसानों को भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।

इनका कहना है- आर के चतुर्वेदी एसएडीओ कृषि विभाग बहोरीबंद

विकासखण्ड मुख्यालय मैं बने मृदा परीक्षण प्रयोशाला भवन मिट्टी परीक्षण के लिए उपकरण उपलब्ध है।लेकिन तकनीकी स्टाफ की पदस्थापना न होने से मिट्टी के सैम्पल की जांच नही हो पा रही है।
जांच के लिए सैम्पल जिला मुख्यालय भेजे जा रहे है।वर्तमान मे 2550 किसानों के मिट्टी सैम्पल जांच का लक्ष्य मिला है ।ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी किसानों के खेतो मैं जाकर मिट्टी का नमूना ले रहे है।
प्रयोगशाला शाला भवन मैं तकनीकी स्टाफ की पदस्थापना कराई जाए इसके लिए विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों को पत्राचार किया जा चुका है।

 

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