सेना के जवानों द्वारा युद्धक्षेत्र में इस्तेमाल किए जाने वाले सुरक्षा उपकरण बने आकर्षण का केंद्र
जबलपुर :महाकौशल विज्ञानं परिषद् द्वारा वेटेरनरी कॉलेज ग्राउंड में 15 से 18 नवम्बर तक आयोजित किये जा रहे प्रथम महाकौशल विज्ञान मेला एवं आरोग्य एक्सपो एक ओर जहां तकनीक और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर यह रक्षा के क्षेत्र में विज्ञान की भूमिका के महत्व को भी आमजनों के साथ साझा कर रहा है। विज्ञान मेला में सेना के जवानों द्वारा युद्धक्षेत्र में इस्तेमाल किए जाने वाले सुरक्षा उपकरण आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।महाकौशल विज्ञान मेला में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा भी स्टॉल लगाया गया है। स्टॉल में युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले बहुउपयोगी सुरक्षा उपकरणों को प्रदर्शन के लिए रखा गया है। इनमें फिक्स्ड केमिकल एजेंट डिटेक्टर, एनबीसी सूट परमेबल मार्क-V, रेसिड्युअल वेपर डिटेक्शन किट, थ्री कलर डिटेक्टर पेपर, कैनिस्टर (नीलकंठ) और पोर्टेबल केमिकल एजेंट डिटेक्टर जैसे विभिन्न रक्षा उपकरण शामिल हैं।डीआरडीओ के स्टॉल में मौजूद विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी के अनुसार फिक्स्ड केमिकल एजेंट डिटेक्टर और पोर्टेबल केमिकल एजेंट डिटेक्टर उपकरणों का उपयोग हवा में मौजूद रासायनिक युद्ध एजेंटों का पता लगाने के लिए किया जाता है। विशेषज्ञों ने बताया कि एनबीसी पारगम्य सूट कपड़े की परतों के बीच सक्रिय गोलाकार कार्बन मोतियों की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पर आधारित है, जो सीबीआरएन वातावरण में सैनिकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए डिजाइन और विकसित किया गया है। इसमें हुड और पतलून के साथ एक सिंगल वन पीस जैकेट (स्मॉक) को भी शामिल किया गया है। स्टॉल में प्रदर्शन के लिए रखा गया थ्री कलर डिटेक्टर पेपर अत्यंत साधारण लेकिन एक महत्वपूर्ण रक्षा उपकरण है, जो सी.डब्लू. एजेंटों का गुणात्मक पता लगाता है। स्टॉल पर रखे गए कैनिस्टर (नीलकंठ) और रेसिड्युअल वेपर डिटेक्शन किट भी रासायनिक युद्दों में सुरक्षा कवच बनाकर सेना के जवानों की रक्षा करता है।