1 जनवरी को सिर्फ कैलेंडर बदले, संस्कृति नहीं: राजेश मदान
राजेश मदान बैतूल। भारतीय संस्कृति और परंपराओं को सहेजने के उद्देश्य से ग्राम मांडवा में तुलसी पूजन दिवस और व्यसन मुक्ति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सैकड़ों ग्रामीणों और साधकों ने भाग लिया। सर्वप्रथम तुलसी जी का सामूहिक पूजन किया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने व्यसन मुक्त होने और घर-घर तुलसी पौधे लगाने का संकल्प लिया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि योग वेदांत सेवा समिति बैतूल के संरक्षक एवं समाजसेवी राजेश मदान ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के लोगों को अपना नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1 जनवरी को शराब और शोर-शराबे के साथ नववर्ष मनाना हमारी सनातन परंपरा का हिस्सा नहीं है। यह पाश्चात्य सभ्यता का अंधानुकरण है, जिसे छोड़ने की जरूरत है। संत श्री आशारामजी बापू द्वारा शुरू किया गया तुलसी पूजन दिवस अब पूरे विश्व में मनाया जा रहा है। 107 वर्षीय वयोवृद्ध गाजरूजी बारस्कर ने तुलसी के महत्व को बताते हुए ग्रामीणों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि तुलसी पूजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। कार्यक्रम में पूर्व सरपंच किशोरी लाल झरबडे ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस आयोजन में साधक किशोरीलाल झरबडे, पिंटू बारस्कर, प्रगति बारस्कर, बाबूलाल नवडे, बबलू धुर्वे, भीलू धुर्वे, विशाल मरकाम, गोधन धुर्वे, सविता बारस्कर, प्रवीण बारस्कर, श्रवण धुर्वे, शंकर परपाची, सरस्वती बारस्कर, धनराज बारस्कर और मोहित बारस्कर सहित सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए। कार्यक्रम का मुख्य संदेश था कि हर भारतीय को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष के रूप में मनाकर अपनी संस्कृति का सम्मान करना चाहिए और 1 जनवरी को केवल कैलेंडर बदलना चाहिए, अपनी परंपराओं को नहीं।