ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं,नया भारत सीमा के दोनों तरफ आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को इस बात का सबूत बताया कि जब भी भारत आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करता है, तो सीमा पार की जमीन भी आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए सुरक्षित नहीं होती। उन्होंने कहा कि “उरी में हुई आतंकी घटना के बाद सर्जिकल स्ट्राइक, पुलवामा हमले के बाद की गई एयर स्ट्राइक और अब पहलगाम हमले के जवाब में भारत द्वारा की गई कई स्ट्राइक के जरिए दुनिया ने देख लिया है कि अगर भारत की धरती पर कोई भी आतंकी हमला होता है, तो वह क्या कर सकता है। आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नया भारत सीमा के दोनों तरफ आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।”
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह अभियान पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ढांचे को ध्वस्त करने के लिए शुरू किया गया था और इसमें निर्दोष नागरिकों को निशाना नहीं बनाया गया, लेकिन पाकिस्तान ने भारत में नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया और मंदिरों, गुरुद्वारों और चर्चों पर हमला करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “हमारे सशस्त्र बलों ने वीरता और संयम का परिचय दिया और पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों पर हमला करके मुंहतोड़ जवाब दिया। हमने न केवल सीमा से सटे सैन्य ठिकानों पर कार्रवाई की, बल्कि हमारे सशस्त्र बलों का आक्रोश रावलपिंडी तक पहुंच गया, जहां पाकिस्तानी सैन्य मुख्यालय स्थित है।”
ब्रह्मोस एकीकरण एवं परीक्षण सुविधा केंद्र के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत के प्रयासों को मजबूत करेगा तथा महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन करके क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगा। उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर उद्घाटन को एक ऐतिहासिक क्षण बताया, जो भारत की बढ़ती नवीन ऊर्जा को दर्शाता है तथा महत्वपूर्ण, उच्च स्तरीय एवं अग्रणी प्रौद्योगिकियों में तेजी से हो रहे वैश्विक परिवर्तन के साथ संरेखित है।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ब्रह्मोस न केवल दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है, बल्कि यह भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत, दुश्मनों के लिए प्रतिरोध का संदेश और अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए राष्ट्र की अटूट प्रतिबद्धता का संदेश है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस भारत और रूस की शीर्ष रक्षा प्रौद्योगिकियों का संगम है।
रक्षा मंत्री ने भारत के मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का हवाला देते हुए बताया, जिन्होंने कहा था कि ‘जब तक भारत दुनिया के सामने खड़ा नहीं होगा, कोई भी हमारा सम्मान नहीं करेगा। इस दुनिया में, डर का कोई स्थान नहीं है, केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती है’, रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत आज सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है और केंद्र भारत की शक्ति को और मजबूत करने में मदद करेगा।
इस सुविधा को उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे (यूपीडीआईसी) के लिए गर्व की बात बताते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इसके द्वारा पहले ही लगभग 500 प्रत्यक्ष और 1,000 अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन किया जा चुका है, जो रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में राज्य की बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का कॉरिडोर स्थापित करने का दृष्टिकोण राज्य को दुनिया के शीर्ष रक्षा उत्पादन और निर्यात गंतव्य के रूप में विकसित करने के लक्ष्य पर आधारित है।
रक्षा मंत्री ने कहा, “यूपीडीआईसी में अब तक 34,000 करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश के साथ कुल 180 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और 4,000 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही किया जा चुका है। विमान निर्माण, यूएवी, ड्रोन, गोला-बारूद, मिश्रित और महत्वपूर्ण सामग्री, छोटे हथियार, कपड़ा और पैराशूट आदि में प्रमुख निवेश किए गए हैं। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इसमें सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की भागीदारी देखी जा रही है। लखनऊ में ही पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा टाइटेनियम और सुपर एलॉय मैटेरियल प्लांट शुरू किए जा रहे हैं। इसके अलावा, सात अतिरिक्त महत्वपूर्ण परियोजनाओं की नींव रखी जा रही है। जिससे रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की गति को बाल मिलेगा।”
श्री राजनाथ सिंह ने सरकार के ‘मेक-इन-इंडिया, मेक-फॉर-द-वर्ल्ड’ के दृष्टिकोण को दोहराते हुए इस बात पर जोर दिया कि आत्मनिर्भरता का मतलब केवल भारत की अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करना ही नहीं है, बल्कि इसका मतलब देश को वैश्विक बाजार में रक्षा उपकरणों का प्रमुख निर्यातक बनाना भी है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए, जिसमें कहा गया है कि 2024 में वैश्विक सैन्य व्यय बढ़कर 2,718 बिलियन डॉलर हो गया है, उन्होंने कहा कि इतना बड़ा बाजार एक अवसर है जिसका भारत को लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा, “ब्रह्मोस सुविधा का शुभारंभ भारत को दुनिया के रक्षा उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।”
रक्षा मंत्री ने परियोजना को 40 महीनों के भीतर पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार, डीआरडीओ के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और अन्य हितधारकों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, “मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने लक्ष्यों को समयबद्ध और कुशल तरीके से प्राप्त करना जारी रखें।” उन्होंने एक मजबूत विकास पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और यूपीडीआईसी की स्थापना, लखनऊ में डीआरडीओ के रक्षा प्रौद्योगिकी और परीक्षण केंद्र की स्थापना और 2020 में डेफएक्सपो की मेजबानी जैसी पहलों को लागू करने के लिए राज्य सरकार को श्रेय दिया।
उद्घाटन स्थल पर अपने सम्बोधन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ को रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि लखनऊ में यह सुविधा मेक-इन-इंडिया पहल, आत्मनिर्भरता और रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देगी।
रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए राज्य की पहलों पर, श्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपीडीआईसी के सभी छह नोड्स के तहत काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने रक्षा विनिर्माण में विभिन्न परियोजनाओं को सूचीबद्ध किया जो राज्य में स्थापित की जा रही हैं, जिनमें सार्वजनिक और निजी दोनों उद्योग शामिल हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऑपरेशन सिंदूर की सराहना करते हुए कहा कि यह दुनिया के लिए एक संदेश है कि भारत अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और आतंकवाद का पूरी तरह से सफाया करने के अलावा कोई भी समाधान नहीं हो सकता है।
लखनऊ में 200 एकड़ में फैले ब्रह्मोस इंटीग्रेशन एंड टेस्टिंग फैसिलिटी सेंटर में बूस्टर सब-असेंबली, एवियोनिक्स, प्रोपेलेंट, रैमजेट इंजन का एकीकरण किया जाएगा। परिसर में डिजाइन और प्रशासनिक ब्लॉक के साथ कार्यक्रम केंद्र की भी योजना बनाई जा रही है।
लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत वाला यह परिसर लंबे समय तक उद्योग और उद्यमियों के लिए कौशल विकास के मार्ग को प्रशस्त करेगा। इस परिसर को समर्थन देने के लिए सहायक और सब-असेंबली का पूरा रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र आसपास के क्षेत्र में विकसित किया जाएगा। यह औद्योगिकीकरण और आईटीआई के छात्रों, पर्यवेक्षकों, इंजीनियरों के कौशल विकास में बड़ी मदद करेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि लोगों को नौकरी के अवसरों की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर न होना पड़े।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने इस सुविधा के संचालन के लिए अब तक 36 प्रशिक्षुओं का चयन किया है। इनमें से पांच नव चयनित प्रशिक्षुओं को उद्घाटन के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया।इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत, ब्रह्मोस के महानिदेशक डॉ. जयतीर्थ आर. जोशी, जन प्रतिनिधि और केंद्र व राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
इंडिया पोल खोल को आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु इस QR कोड को किसी भी UPI ऐप्प से स्कैन करें। अथवा "Donate Now" पर टच/क्लिक करें।
Click Here >>
Donate Now
इंडिया पोल खोल के YouTube Channel को Subscribe करने के लिए इस YouTube आइकन पर टच/Click करें।
इंडिया पोल खोल के WhatsApp Channel को फॉलो करने के लिए इस WhatsApp आइकन पर टच/Click करें।
Google News पर इंडिया पोल खोल को Follow करने के लिए इस GoogleNews आइकन पर टच/Click करें।