माँ दुर्गा इस सृष्टि की है आदिशक्ति,ब्रह्म, विष्णु व शंकर आदिशक्ति की शक्ति से ही करते है सृष्टि का संचालन
सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद- शारदेय नवरात्र का पावन पर्व चल रहा है।चहुँओर मातारानी की जयजयघोष हो रही है।
वही स्लीमनाबाद स्थित सिंहवाहिनी मंदिर मे देवी भागवत नवाहयज्ञ चल रहा ।जिसमे देवी कथा का वाचन पंडित दिलीप त्रिपाठी के मुखारविंद से किया जा रहा है।कथा के पांचवे दिवस सोमवार को माँ आदिशक्ति के जन्मोत्सव की कथा जनमानस को श्रवण कराई गई।कथा वाचक ने कहा कि असुरों के अत्याचार से देवता परेशान हो गए थे।
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तब देवता ब्रह्मा जी के पास गए और उनसे समाधान मांगा।तब ब्रह्माजी ने बताया की दैत्यराज को यह वर प्राप्त है कि उसकी मृत्यु किसी कुंवारी कन्या के हाथ से होगी, तो सब देवताओं ने अपने सम्मिलित तेज से देवी के इन रूपों को प्रकट किया। विभिन्न देवताओं की देह से निकले हुए इस तेज से ही देवी के विभिन्न अंग बने।भगवान शंकर के तेज से देवी का मुख प्रकट हुआ, यमराज के तेज से मस्तक के केश, विष्णु के तेज से भुजाएं, चंद्रमा के तेज से स्तन, इंद्र के तेज से कमर, वरुण के तेज से जंघा, पृथ्वी के तेज से नितंब, ब्रह्मा के तेज से चरण, सूर्य के तेज से दोनों पौरों की ऊंगलियां, प्रजापति के तेज से सारे दांत, अग्नि के तेज से दोनों नेत्र, संध्या के तेज से भौंहें, वायु के तेज से कान तथा अन्य देवताओं के तेज से देवी के भिन्न-भिन्न अंग बने हैं।फिर शिवजी ने उस महाशक्ति को अपना त्रिशूल दिया, लक्ष्मीजी ने कमल का फूल, विष्णु ने चक्र, अग्नि ने शक्ति व बाणों से भरे तरकश, प्रजापति ने स्फटिक मणियों की माला, वरुण ने दिव्य शंख, हनुमानजी ने गदा, शेषनागजी ने मणियों से सुशोभित नाग, इंद्र ने वज्र, भगवान राम ने धनुष, वरुण देव ने पाश व तीर, ब्रह्माजी ने चारों वेद तथा हिमालय पर्वत ने सवारी के लिए सिंह प्रदान किया।इसके अतिरिक्त समुद्र ने बहुत उज्जवल हार, कभी न फटने वाले दिव्य वस्त्र, चूड़ामणि, दो कुंडल, हाथों के कंगन, पैरों के नूपुर तथा अंगुठियां भेंट कीं। इन सब वस्तुओं को देवी ने अपनी अठारह भुजाओं में धारण किया।कथा वाचक ने कहा कि मां दुर्गा इस सृष्टि की आद्य शक्ति हैं यानी आदि शक्ति हैं। पितामह ब्रह्माजी, भगवान विष्णु और भगवान शंकरजी उन्हीं की शक्ति से सृष्टि की उत्पत्ति, पालन-पोषण और संहार करते हैं। अन्य देवता भी उन्हीं की शक्ति से शक्तिमान होकर सारे कार्य करते हैं।कथा वाचक ने जैसे ही आदिशक्ति के जन्मोत्सव की कथा सुनाई समूचा कथा परिसर जन्मोत्सव के आनंद मैं रम गया।चहुँओर मातारानी की जयजयघोष होने लगी।ढोल-नगाड़े बजने लगे,श्रद्धालु नृत्य करने लगे।बधाई गीत गाये गए।कथा के अंत मे सायंकालीन आरती कर कथा को विश्राम दिया गया।इस दौरान जिला पंचायत सदस्य पंडित प्रदीप त्रिपाठी, रमाकांत पौराणिक,जयदीप त्रिपाठी, बृजेश दुबे, अनुराग मिश्रा,गोपाल गुप्ता,केशव दुबे, नरेंद्र दुबे, आदित्य दुबे, राकेश साहू, नितिन अग्रहरि ,गिरानी यादव,रामनारायण यादव सहित बड़ी संख्या मे श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।
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