क्या सच लिखना भी गुनाह ?खबर लगने के दो दिन बाद आगबबूला हों गईं प्रबंधक की पत्नी

इस ख़बर को शेयर करें

Writing the truth is also a crime now: सच लिखना भी अब गुनाह हो गया है, सच्ची खबर लिखने पर ऐसे -ऐसे लोग सर्टिफिकेट मागंते है जिनके परिजनों पर ही गम्भीर आरोप लगे हुए हैं, हम बात कर रहे हैं सिहोरा सहकारी विपड़न समिति की जहां पर 18 फरवरी के दिन खितौला निवासी राजकुमार दुबे की शिकायत के आधार पर हमारे द्वारा सहकारी विपड़न समिति सिहोरा में कार्यरत प्रबंधक ,कैशियर ,और चपरासी की खबर प्रकाशित की गई थी,उस दिन के बाद प्रतिदिन समिति में पदस्थ कर्मचारियों द्वारा खबर हटाने को कहते हुए न हटाने पर मानहानि और कोर्ट में जाने की धमकियां दी जा रहीं थीं।वैसे तो इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि दूध का दूध औऱ पानी का पानी हो सके ताकि सच्चाई का पता लग सके की शिकायत देने वाला सही है या फिर जिन पर आरोप लगें है वो सही हैं ।

आज तो हद हो गई 

वहीँ आज तो हद ही हो गई जब सहकारी विपड़न समिति सिहोरा के वर्तमान प्रबंधक जिनपर फर्जी रूप से काम करने के आरोप लगें है उनकी पत्नी आज सुबह से ही आगबबूला होकर फोन पर ही धमकियां देते हुए पत्रकारिता का सर्टिफिकेट ही मांग लिया अब ये हाल हो गए हैं कि सच उजागर करने और किसी की शिकायत पर खबर लगाने पर कोई को भी पत्रकार सर्टिफिकेट दिखाते फिरें नहीं तो पुलिस -प्रशासन के अधिकारियों के पास फेक न्यूज़ लगाते हैं जैसी शिकायत पहुँचने में देर नहीं लगेगी ।

क्या है पूरा मामला ?

दरसअल खितौला निवासी राजकुमार दुबे पूर्व प्रबंधक सिहोरा सहकारी विपड़न समिति द्वारा जबलपुर कलेक्टर को दी गई लिखित शिकायत के आधार पर हमारे द्वारा “सिहोरा की विपड़न समिति में कार्यरत कर्मचारियों पर लगे फर्जीबाड़े के आरोप”शीर्षक से 18 फरवरी के दिन खबर प्रकाशित की गई थी ।प्रकाशित खबर के अनुसार जिले की सिहोरा तहसील में अजीबोगरीब मामला सामने आया है जहां पर स्तिथ सहकारी विपड़न समिति में कार्यरत कैशियर ,चपरासी और प्रबंधक पर फर्जी रूप से कार्य करने के आरोप लगे हैं, शिकायत कर्ता ने कलेक्टर को लिखित शिकायत देते हुए तीनो पर कार्यवाही की मांग की गई है।

यह है पूरा मामला

खितौला निवासी आरके दुबे ने जबलपुर कलेक्टर को एक लिखित शिकायत देते हुए बताया कि सहकारी विपणन समिति सिहोरा में कार्यरत कर्मचारियों में राम सजीवन चतुर्वेदी जो की डी कैशियर के पद पर पदस्थ है दूसरा देवेंद्र कुमार साहू जो की चपरासी के पद पर कार्यरत है और तीसरा अश्वनी तिवारी जो की प्रभारी प्रबंधक के पद पर कार्य थे इन तीनों कर्मचारियों के पास किसी भी प्रकार का कोई दस्तावेज कार्य करने हेतु नहीं है इनको व्यक्तिगत फाइल में मात्र आवेदन एवं अंकसूची की फोटो कॉपी मात्र रखी हुई है।आरोप है की तीनों कर्मचारियों के आवेदन को किसी संस्था में प्राप्त नहीं किया गया।साथ ही तीनो के पास किसी भी नियोक्ता ने नियुक्ति पत्र प्रदान नहीं किया गया।तीनों कर्मचारियों का संस्था की बैठक में प्रस्ताव डालकर संस्था में कार्य करने हेतु निर्णय पारित नहीँ किया गया।इतना ही नहीँ तीनो कर्मचारियों का( डी आर ) सहकारी संस्थाये जबलपुर द्वारा कार्य करने का अनुमोदन प्राप्त नहीं किया गया।आरोप है की प्रशासक योगेश दुबे द्वारा तीनों कर्मचारियों को संरक्षण प्राप्त है।जिसके चलते तीनों की शिकायत करने पर भी विभागीय कार्यवाही नहीं कि जा रही है।

 


इस ख़बर को शेयर करें