बारिश मै बढ़ रहे सर्पदंश के मामले, प्रतिदिन मरीज पहुंच रहे इलाज कराने

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद : बरसात शुरू होते ही स्नैक बाइट के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। बहोरीबंद विकासखंड मै प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तेवरी, बचैया, बाकल व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्लीमनाबाद, बहोरीबंद में हर दिन औसतन 2 मरीज पहुंचते हैं। राहत की बात ये है कि अस्पताल पहुंचने वाले करीब 98 प्रतिशत मरीजों की जान बच जाती है!
विशेषज्ञों की मानें तो जुलाई-अगस्त में सांप के काटने के केस आते हैं। जिसमें जहरीले कोबरा और करैत प्रजाति सांप के डसने के ज्यादा होते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले चार माह में यह केस ओर बढ़ेगे!स्लीमनाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मे 15 तो बहोरीबंद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मे भी 17केस सर्पदंश के जुलाई माह मे सामने आये है!
जहरीले सांप से पीड़ित मरीजों क़ो उपचार के लिए जिला अस्पताल रैफर किया गया!हालांकि अभी तक यह अच्छी खबर है कि जुलाई माह जो केस सर्पदंश के सामने आये उनमे से मृत्यु किसी की भी नहीं हुई!

स्वास्थ्य केंद्रों पर वेंटीलेटर का अभाव 

डॉक्टर्स की मानें तो न्यूरोटोक्सिक जहर अंगों को पैरालाइसिस कर देता है। जहर का पहला हमला आंख की पलक पर होता है, उसके बाद सांसें और चंद घंटे में ही जान ले लेता है। जिलेभर के स्वास्थ्य केंद्रों में वेंटीलेटर का अभाव है। मात्र जिला अस्पताल व निजी अस्पतालो में इसकी सुविधा है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्लीमनाबाद मे पदस्थ चिकित्सा अधिकारी डॉ शिवम दुबे ने बताया कि मरीज के पहुंचने पर सबसे पहले लक्षण देखे जाते हैं ताकि सांप की प्रजाति पता चल सके। जहर न्यूरोटॉक्सिक है या ह्यूमोटॉक्सि!
जहर चाहे न्यूरोटॉक्सिक हो या ह्यूमोटॉक्सि उसे एंटी वीनम इंजेक्शन लगाया जाता है। गंभीर स्थिति में पहुंचे मरीज को बिना टेस्ट के भी एएसबी लगाया जाता है।-इंजेक्शन के बाद जहर यदि न्यूरोटोक्सिक तो उसे पैरालाइसिस संबंधी उपचार होता है। ह्यूमोटॉक्सिक है तो ऐसा उपचार होता है कि जहर शरीर में कहीं ब्लीडिंग न करा पाए।एंटी वीनम इंजेक्शन लगाने के बाद 6-8 घंटे ऑबजर्वेशन में रखा जाता है, जब तक की दवा का असर दिखाई न देने लगे।सामान्य दिनों में माह में 2-4 केस ही स्नैक बाइट के माह भर मै आते थे, लेकिन अब 40-50 स्नैक बाइट के केस महीने में आ रहे हैं। बारिश के कारण जहरीले कीढ़े बिलों से निकलते हैं और स्नैक बाइट के मामले बढ़ जाते हैं। मरीज समय पर अस्पताल पहुंच जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है।

इनका कहना है – डॉ आनंद अहिरवार बीएमओ बहोरीबंद

लोग झाड़ फूंक के चक्कर में समय न गवाएं!अधिकांश मरीजों की जान अस्पताल पहुंचने के बाद बच जाती है। लेकिन कुछ मामले में लोग अंधविश्वास के चलते अपने परिजनों को अपने ही हाथों खो देते हैं।

 


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