बहोरीबंद जनपद पंचायत अध्यक्ष को कमिश्नर न्यायलय से लगा झटका,गई कुर्सी
सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद: बहोरीबंद जनपद पंचायत अध्यक्ष लाल कमल बंसल को कमिश्नर न्यायलय से बड़ा झटका लगा है!कमिश्नर न्यायलय ने अविश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया को लेकर लगाई गई अपील को ख़ारिज कर दिया है!जिसके बाद एक बार फिर जनपद अध्यक्ष को अपनी कुर्सी गवानी पड़ी है!
4 जुलाई 2025 को कमिश्नर न्यायलय ने अपील ख़ारिज करते अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया को मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1993 के तहत वैधानिक माना है!
अपील ख़ारिज होने की जानकारी क्षेत्र मे लगने से राजनैतिक गलियारों मे सियासी हलचल तेज हो गई!
3 अप्रेल को हुई थी अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया
गौरतलब है कि बहोरीबंद जनपद पंचायत अध्यक्ष लाल कमल बंसल के खिलाफ जनपद सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था!अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विशेष सम्मिलन 3 अप्रेल 2025 को तहसील कार्यालय बहोरीबंद मे हुआ था!
जहाँ जनपद अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया मे अपनी कुर्सी गवानी पड़ी थी!क्योंकि अध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष मे 18 जनपद सदस्यों ने वोटिंग की थी!
हाईकोर्ट से मिला स्थगन
बहोरीबंद जनपद अध्यक्ष लाल कमल बंसल को हालांकि हाईकोर्ट से राहत मिली लेकिन वो राहत भी चंद दिनों की रही!
3 अप्रेल को अविश्वास प्रस्ताव पर कुर्सी गवाने के बाद इस मामले को लेकर कमिश्नर न्यायलय जबलपुर मे अपील लगाई गई!लेकिन संभागायुक्त के न होने के कारण उस अपील पर सुनवाई न हो सकी!जिस कारण समय ज्यादा लग रहा था!
इस बीच जनपद अध्यक्ष लाल कमल बंसल ने हाईकोर्ट की शरण ली ओर याचिका दायर की!जिस पर हाईकोर्ट ने 8 मई 2025 को दिशा निर्देश देते हुए बड़ी राहत प्रदान की!
जिसमें जनपद अध्यक्ष लाल कमल बंसल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया पर स्थगन जारी करते हुए जबलपुर संभागायुक्त को 90 दिनों के भीतर मामले का निराकरण करने को आदेशित किया!हाईकोर्ट से मिले स्थगन के बाद एक बार फिर लाल कमल बंसल ने जनपद पंचायत कार्यालय पहुंचकर जनपद अध्यक्ष की कुर्सी संभाली!वहीं हाईकोर्ट के आदेशानुसार जबलपुर कमिश्नर न्यायलय मे इस मामले पर नवागत संभागायुक्त जबलपुर ने सुनवाई की!जिस पर सभी पक्षो की दलीलों को सुना गया!इसके बाद जबलपुर कमिश्नर न्यायलय जबलपुर के द्वारा 4 जुलाई 2025 को जनपद अध्यक्ष लाल कमल बंसल की जो अपील अविश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया को लेकर लगाई गई थी उस अपील को ख़ारिज कर दिया!कमिश्नर न्यायलय ने अविश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया को मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 व 1994 मे उल्लेखित प्रावधानो एवं नियमों के आधार पर समय विवेचना एवं परीक्षण उपरांत पारित अविश्वास प्रस्ताव संकल्प विधिमान्य माना गया!
इनका कहना है – लाल कमल बंसल पूर्व जनपद अध्यक्ष बहोरीबंद
अविश्वास प्रस्ताव की जो प्रक्रिया थी वह राजनीति के तहत कराई गई जिसमें प्रशासनिक अधिकारियो का भी सहयोग रहा!वहीं कमिश्नर न्यायलय मे भी यही स्थिति को देखने मिली!जब मामले पर प्रशासन पार्टी थी तों फिर अलग से कैवियट दायर करना समझ से परे है!इन्ही सभी मामलों लेकर अब हाईकोर्ट की शरण ली जाएगी!