भारत का एक ऐसा किला जिसे आजतक जीता नहीं जा सका

इस ख़बर को शेयर करें

मध्यप्रदेश के बुरहानपुर की सतपुड़ा की पहाड़ियों पर बने अहीरगढ़ किले का निर्माण यदुवंश की हैहयवंशी शाखा के राजा आसा अहीर नामक शासक ने 14 शताब्दी में करवाया था ,इस किले को बाब-ए-दक्कन ( दक्षिण का दरवाजा या दक्षिण की कुंजी) भी कहा जाता है, यह भारत का ऐसा किला है ज़िसको आजतक जीता नहीं जा सका इसलिए इस किले को भारत ही नहीं विश्व के सबसे अभेद किलों में से एक माना गया है, मांडू जीत के बाद अकबर ने भी इस किले पर आक्रमण किया था लेकिन वो भी इस किले को फतेह नहीं कर सका था और उसे पूरे 11 महीने इस किले के बाहर अपनी सेना के साथ डेरा डालकर रहना पड़ा था,

इंडिया पोल खोल को आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु इस QR कोड को किसी भी UPI ऐप्प से स्कैन करें। अथवा "Donate Now" पर टच/क्लिक करें। 

Click Here >> Donate Now

आसा अहीर थे पहले शासक 

इस किले के निर्माणकर्ता आसा अहीर ऐसे पहले ऐसे शासक हैं ज़िन्होने इस किले का निर्माण अपने खजाने और संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए नहीं बल्कि अपने पशुओं (गाय और घोडों) की सुरक्षा के लिए बनाया था आसा अहीर के पास उस वक्त 8000 गाय और करीब 3000 उच्च नश्ल के घोड़े हुआ करते थे जो खानदेश जैसे कई साम्राज्य की कैवलरी ( घुड़सवार सेना/होर्स रेजीमेंट) में शामिल किए ज़ाते थे, आसा अहीर जितने ईमानदार थे उससे कहीं ज्यादा वो सच्चरित्र भी थे इसलिए वो एक न्यायप्रिय शासकों में शुमार थे,आसा अहीर और उनके बेटों की शरण माँगने आये फिरोजशाह तुगलक के सिपाही के पुत्र नसीर खान ने धोखे हत्या कर दी थी, यह किला उस समय सुरक्षित शरण का एक महत्वपूर्ण स्थान था, नसीर खान ने आसा अहीर को अपनी अौरतों की सुरक्षा का हवाला दिया और डोलियों में औरतों के साथ फौज किले में प्रवेश करा दी थी,यह किला 17 जनवरी 1601 ई. में अकबर के कब्जे में आया इसके बाद इसपर मराठाओं ने भी शासन किया, 1904 से यह ब्रिटिश सेना के अधिपत्य में आया और इसमें अंग्रेज रहने लगे अग्रेजों ने इसे एक कारागार की तरह इस्तेमाल किया और उस समय मध्यप्रदेश में चल रहे कूका विद्रोह के आरोपियों को इस किले में कैद कर रखा,इस किले की इसकी दुर्गमता के साथ इसकी कई धार्मिक मान्यतायें भी हैं ऐसा माना जाता है कि इस किले में द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वुतथामा आज भी भगवान शिवजी के मंदिर में पूजा करने आते हैं, इस किले में आसा अहीर द्वारा बनवाया गया आशापूर्णा देवी ( आशा माई) का भी मंदिर है..मध्यकालीन इतिहासकार फरिश्ता (1560-1620) ने इस किले का मूल नाम अहीरगढ़ बताया है, फरिश्ता दक्षिण के सुलतानों के दरबारी इतिहासकार थे ।

इंडिया पोल खोल के WhatsApp Channel को फॉलो करने के लिए इस WhatsApp आइकन पर टच/Click करें।

Google News पर इंडिया पोल खोल को Follow करने के लिए इस GoogleNews आइकन पर टच/Click करें।

 

इंडिया पोल खोल के YouTube Channel को Subscribe करने के लिए इस YouTube आइकन पर टच/Click करें।


इस ख़बर को शेयर करें