खरीफ सीजन की फसलों पर खरपतवार व कीटो का प्रकोप,फसलों को बचाने अन्नदाता पर बढ़ रहा आर्थिक बोझ

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सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद- खरीफ सीजन के तहत किसान अपने खेतों में बोवनी के बाद अंकुरित हुई फसल में उगे कचरे को नष्ट करने के लिए खरपतवारनाशक दवाओं का छिडक़ाव इन दिनों कर रहे हैं ताकि आने वाली फसल रोग मुक्त हो सके और कचरा नष्ट होने से फसल की अच्छी पैदावार हो सके। हालांकि उन पर आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है।इसका कारण साल दर साल दवाओं के दाम में मनमानी बढ़ोतरी है। पिछले साल की तुलना में इस साल खरपतवारनाशक में 200 से 500 रुपए प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी हो गई है।क्षेत्र में बारिश होने के बाद किसान सभी जगह गांव-गांव में अपनी उड़द, धान आदि फसलों में खरपतवार नाशक और कीटनाशक दवाओं का छिडक़ाव कर रहे हैं। फसल के साथ खेतों में उगने वाली खरपतवार और कीटों से फसल को बचाने के लिए किसानों को समय-समय पर दवाओं का छिडक़ाव करना पड़ता है। किसानों को बड़ी मात्रा में खरपतवार और कीटनाशक खरीदनी पड़ती है लेकिन साल दर साल दवाओं की कीमत बढऩे से किसानों की चिंता बढ़ गई है। पिछले एक साल में खरपतवार और कीटनाशक दवाओं के दाम में वृद्धि हुई है। इसका सीधा असर किसानों के बजट पर पड़ रहा है, बावजूद इसके जिम्मेदारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं हैं। खरीफ सीजन में खेतों की खरपतवार नष्ट करने के लिए किसानों खरपतवार नाशक दवा का छिडक़ाव करना पड़ता है। एक साल पहले खरपतवार नाशक दवा 1300-1400 रुपए, कई कंपनियों की 2000-3000 रुपए प्रति लीटर तक मिलती थी। दवा बनाने वाली लगभग हर कंपनी ने इस साल कई प्रतिशत तक कीमत में वृद्धि कर दी है। अब यही दवा किसानों को 1400-1600 रुपए व 2000-3500 रुपये प्रति लीटर मिल रही है। इससे किसानों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है। इसी तरह कीटनाशक दवाओं के मूल्य में भी वृद्धि हुई है। इसका सीधा असर फसल के लागत मूल्य पर पड़ रहा है।

जिस तेजी से लागत बढ़ रही, उपज का भाव वैसा नहीं-
किसान रामनारायण यादव,राकेश साहू,जितेंद्र ठाकुर,शिबलाल यादव आदि ने बताया कि जिस तेजी से फसल का लागत मूल्य बढ़ रहा है उसके मुताबिक उपज के मूल्य में वृद्धि नहीं हो रही है। इसलिए खेती लाभ के बजाए नुकसान का धंधा बनती जा रही है। अधिकांश किसानों का कहना है कि सरकार में पक्ष हो या विपक्ष, सभी पेट्रोल, डीजल, गैस की बात करते हैं लेकिन देश की अर्थ व्यवस्था का मूल आधार कृषि में बढ़ रही महंगाई पर किसी का ध्यान नहीं है। खाज, बीज, कृषि उपकरण के साथ खरपतवार और कीटनाशक दवाओं के मूल्य में वृद्धि के किसान आर्थिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं यानि खेती मैं सिर्फ लागत लगाना बस रह गया है।

इनका कहना है- आर के चतुर्वेदी वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी बहोरीबंद

वर्तमान समय मैं खरीफ सीजन की फसलों पर खरपतवार व कीटों का प्रकोप है।फसलों को बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं का उपयोग जरूरी है,नही तो फसल उत्पादन प्रभावित होगा।
कम्पनियों के द्वारा मूल्य निर्धारण किया जाता है।
फिर भी किसानों को शासन स्तर से कीटनाशको दवाओं पर अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
कृषक सिर्फ कीटनाशक दवाओं का पक्का बिल लेकर कृषि विभाग को उपलब्ध कराए तो पांच एकड़ भूमि पर एक हजार रुपये का अनुदान शासन स्तर से दिया जाएगा।


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