कृषि विकास विभाग की किसानों को जैव उर्वरकों का उपयोग करने की सलाह 

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जबलपुर,किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के अधिकारियों ने जिले के किसानों को रासायनिक खाद की खपत में कमी लाने जैव उर्वरकों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। किसानों को जैव उर्वरक से होने वाले फायदों की जानकारी देते हुये बताया गया है कि इनका इस्तेमाल कर उत्पादन में कमी आये बिना रायायनिक खादों की खपत में 30 से 40 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है।

खेती पूरी तरह रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर

सहायक संचालक कृषि रवि आम्रवंशी के मुराबिक जबलपुर जिले में खरीफ में लगभग 2 लाख 40 हजार हैक्टेयर, रबी में लगभग 2 लाख 80 हजार हेक्टेयर एवं जायद में लगभग 1 लाख 10 हजार हैक्टेयर में खेती की जाती है तथा किसानों द्वारा प्रतिवर्ष 244 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की औसत से कुल 1 लाख 54 हजार मेट्रिक टन रासायनिक उर्वरक का उपयोग किया जाता है। श्री आम्रवंशी ने बताया कि रासायनिक खाद में नाइट्रोजन उर्वरक का 40 से 50 प्रतिशत ही पौधों द्वारा उपयोग किया जाता है, शेष उर्वरक लीचिंग से जमीन के निचली सतह में चले जाते हैं या वायुमंडल में वाष्पीकृत हो जाते हैं। इसी तरह फास्फोरस उर्वरक का 20 से 25 प्रतिशत ही पौधों द्वारा उपयोग किया जाता है एवं शेष फास्फोरस मिट्टी मे फिक्स हो जाता है।सहायक संचालक कृषि के अनुसार जैविक उर्वरकों का उपयोग कर उत्पादन में कमी लाए बिना रासायनिक उर्वरकों की लगभग 30-40 प्रतिशत मात्रा कम की जा सकती है। उन्होंने बताया वर्तमान में खेती पूरी तरह रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर हो गई है। कृषि में रासायनिक उर्वरकों का दिनों दिन उपयोग बढ़ने से पीक पीरियड के दौरान रासायनिक उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सहायक संचालक ने कृषि ने बताया कि रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक उर्वरकों के उपयोग से पोषक तत्वों की पूर्ति के साथ-साथ मृदा उर्वरता भी स्थिर बनी रहती है। जैविक उर्वरकों का प्रयोग करने से रासायनिक उर्वरकों की क्षमता बढ़ती है एवं उपज में भी वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि जैव उर्वरक सस्ते होते हैं और कम खर्चे में उत्पादन बढ़ाने में सहयोगी होते हैं। जैव उर्वरक वायुमंडल की नाइट्रोजन को फसलों को उपलब्ध कराते हैं एवं मिट्टी में अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील बनाते हैं तथा अगली फसल को भी लाभ पहुंचाते हैं। जैव उर्वरक पौधों में वृद्धि कारक हार्मोंस  उत्पन्न करते हैं और मृदा जनित रोग नियंत्रण के साथ-साथ मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्म जीवों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि कर पर्यावरण सुरक्षित करते हैं।सहायक संचालक कृषि ने किसानों से रासायनिक उर्वरक की मात्रा कम करने और जैव उर्वरकों का उपयोग बढाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जैव उर्वरकों के उपयोग से खेती की लागत कम करने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता को स्थिर बनाए रखते हुए अधिकतम पैदावार ली जा सकती हैं।


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