पर्यटन के रूप मे विकसित होने की राह ताक रहा रुपनाथ धाम,मिले पुरातत्व विभाग की सहमति तो हो विकसित
सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद- बहोरीबन्द विकासखण्ड के प्रसिद्ध मंदिर रुपनाथ धाम पर्यटन के रूप मे विकसित होने की राह वर्षो से ताक रहा है।लेकिन पुरातत्व विभाग की अनुमति न मिलने से पर्यटन के रूप विकसित नही हो पा रहे है।जिस कारण रुपनाथ धाम का अस्तित्व विकसित नही हो पा रहा है।
जबकि रुपनाथ धाम अपनी ऐतिहासिक विरासतों को संजोय कर रखा है।यह वह प्रसिद्ध स्थल है जहां भगवान भोलेनाथ स्वयं रुके थे।तब से इस स्थल को रूपनाथेश्वर धाम भी कहा जाने लगा।सम्राट अशोक की ब्रेल लिपि मैं लिखी भाषा का स्तम्भ भी विराजित है।जिसमे खजाना छिपे होने का अंदेशा है।लेकिन उस शब्दावली का वर्णन कोई नही कर पाता है।स्थल पर ही प्रकृति की सुंदरता का नजारा भी देखने को मिलता है।रुपनाथ धाम मैं वैसे तो प्रतिदिन श्रद्धालुओं का आना जाना रहता है,लेकिन त्यौहार पर बड़ी संख्या मे जन सैलाब उमड़ता है।रूपनाथ मंदिर की विरासत को संजोय रखने पुरातत्व विभाग संरक्षण मैं लिए हुए है।
प्राचीन तिंगवा मंदिर को भी पर्यटन के रूप मे विकसित होने की दरकार
रूपनाथ धाम के अलावा विकासखण्ड के ही प्राचीन तिंगवा मंदिर को भी पर्यटन के रूप मे विकसित होने की दरकार है।
यह प्राचीन मंदिर 1600 सन का बताया जा रहा है।यहां माँ शारदा व कंकाली का मंदिर भी है।जो अपनी मान्यताओं को लेकर जाना जाता है।यह स्थल भी पुरातत्व विभाग के संरक्षण मैं है।जिस कारण पर्यटन के रूप मे विकसित नही हो पा रहे है।जिले मे जो भी कलेक्टर आये है वो सभी इन दोनों स्थलों पर पहुँचे ।जहां स्थानीय व क्षेत्रवासियों ने पर्यटन के रूप मे विकसित करने की मांग कर चुके है।लेकिन पुरातत्व विभाग का अड़ंगा सामने आ जाता है।कारण यह है कि पुरातत्व विभाग अपनी विरासत के साथ खिलवाड़ नही करना चाहता है।जिले के तत्कालीन कलेक्टर अवि प्रसाद रूपनाथ धाम व तिंगवा मंदिर पहुँचकर पूजा अर्चना कर दर्शन किये थे।जिस पर लोगों ने पर्यटन के रूप मे विकसित करने की मांग की गई थी।जिस पर कलेक्टर ने आश्वासन दिया है कि पर्यटन के रूप मे दोनो स्थल विकसित हो इसके सतत प्रयास किये जायेंगे।
इनका कहना है- प्रणय पांडेय विधायक
प्रसिद्ध रूपनाथ धाम व तिंगवा मंदिर को पर्यटन के रूप मे विकसित करने के लिए पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष से भेंट कर मांग की गई है।साथ ही पुरातत्व विभाग से भी अनुमति देने के लिए कहा गया है कि कितने क्षेत्र मे विकसित किया जा सकता है उसका निर्धारण कर जानकारी दे।जैसे ही पुरातत्व विभाग की अनुमति मिलेगी दोनो ही स्थलों को पर्यटन के रूप मे विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कराई जाएगी।
इंडिया पोल खोल को आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु इस QR कोड को किसी भी UPI ऐप्प से स्कैन करें। अथवा "Donate Now" पर टच/क्लिक करें।
Click Here >>
Donate Now
इंडिया पोल खोल के YouTube Channel को Subscribe करने के लिए इस YouTube आइकन पर टच/Click करें।
इंडिया पोल खोल के WhatsApp Channel को फॉलो करने के लिए इस WhatsApp आइकन पर टच/Click करें।
Google News पर इंडिया पोल खोल को Follow करने के लिए इस GoogleNews आइकन पर टच/Click करें।