बारह माह रहता है कुंड मैं गर्म जल,अब अस्तित्व खो रहा तपत कुंड धाम
सुग्रीव यादव स्लीमनाबाद- स्लीमनाबाद स्थित तपत कुंड धाम जो अब अपने अस्तित्व को खो रहा है।यह धार्मिक मान्यता स्थल अब वीरानी की कगार पर पहुँच गया है।इस स्थल को सहेजने व संवारने प्रशासनिक स्तर के अलावा स्थानीय लोग व जनप्रतिनिधियों के द्वारा भी रुचि नही दिखाई जा रही है।जिससे अब उक्त स्थल वीरान होता जा रहा है।
इस स्थल मैं मकर संक्रांति पर्व से तीन दिवसीय मेला का आगाज होगा!जहां दूरदराज से बड़ी संख्या मे लोग मेला देखने तपत कुंड धाम पहुंचेंगे ।लेकिन मेला की विशेषता को दर्शाने वाला तपत कुंड धाम ही वीरान पड़ा हुआ है।
जब उक्त कुंड मे बारहमासी जल रहता है जो गर्म रहता है!
रामभक्त शबरी का हुआ था ठहराव ,मिली थी पहचान-
स्लीमनाबाद तपत कुंड धाम के विषय मैं मान्यता है कि यहां त्रेतायुग मैं रामभक्त भीलनी जाति की शबरी रुकी हुई थी।जिसने उक्त स्थल पर तप किया था।जिसके कारण उक्त कुंड का जल बारह माह हमेशा गर्म ही रहता था।इस कुंड की दृश्यता व विशेषता को देखने बडी संख्या मे लोग आते थे।लेकिन अब धीरे धीरे पुरातन धरा को आगे बढाने युवा पीढ़ी के द्वारा ध्यान न देने से महत्वता कम हो रही है।शबरी आदिवासी विकास समिति के संरक्षक चंदन गौटिया ने बताया कि तपत कुंड धाम भगवान श्रीराम की भक्त शबरी का तपोस्थल है।तपोस्थल की महत्वता जीवन पर्यंत बनी रहे इसके लिए शबरी मंदिर का निर्माण कराया गया।गौरतलब है कि कोविड महामारी के चलते तीन वर्षों तक मेला आयोजन नही हुआ ।जिस कारण मेले की महत्वता मैं भी कमी आई।
हालांकि गत वर्ष मेले को लेकर प्रचार-प्रसार किया गया है।जिससे मेला पुनः अपने पुरातन की लौटे।तपत कुंड धाम को सहजेने व सवारने समिति के द्वारा आगे निर्णय लेकर कार्य किया जाएगा।
इनका कहना है- प्रदीप त्रिपाठी जिला पंचायत सदस्य
स्लीमनाबाद का तपत कुंड धाम अपनी महत्वता को लेकर जाना जाता था।उक्त स्थल को पर्यटक के रूप मे विकसित किया जाए इसके लिए कलेक्टर के समक्ष प्रस्ताव रखा जाएगा साथ ही सहजेने व संवारने के लिए प्रयास किये जायेंगे।