इसलिए चुप हो जाते हैं सज्जन व्यक्ति
*ज्योतिषचार्य निधिराज त्रिपाठी अनुसार——-तुलसी इस संसार में, भांति-भांति के लोग। सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग।।**
भावार्थ: स्वार्थ से ऊपर उठकर जीवन जीने का मंत्र बताते हुए तुलसीदास जी कहते हैं, इस दुनिया में तरह-तरह के लोग रहते हैं। यहां हर तरह के स्वभाव और व्यवहार वाले लोग रहते हैं। लेकिन आपको हर किसी से अच्छी तरह मिलना और बात करना चाहिए। जिस प्रकार स्नेहपूर्ण चलाने से नाव द्वारा नदी पार की जा सकती है, उसी प्रकार अच्छे व्यवहार से जीवन की नैया पार लगाई जा सकती है।
**इसलिए चुप हो जाते हैं सज्जन व्यक्ति**
तुसली पावस के समय, धरी कोकिलन मौन। अब तो दादुर बोलिहं, हमें पूछिह कौन।।
भावार्थ: बारिश के मौसम में मेंढकों के टर्राने की आवाज इतनी अधिक हो जाती है कि कोयल की मीठी बोली उस शोर में दब जाती है। इसलिए इस मौसम में कोयल मौन धारण कर लेती है। तुसलीदास जी इस दोहे के माध्यम से समझाना चाहते हैं कि जब मेंढक रूपी धूर्त व कपटी लोगों का बोलबाला हो जाता है, तब समझदार व्यक्ति चुप ही रहना पसंद करता है और व्यर्थ वार्तालाप में अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करता। इस दोहे में कलयुग का सच दिखता है, जो सच्चे साधू-संत हैं, वे मौन रहेंगे और ढोंगी बाबाओं का बोलबाला रहेगा।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखा जाए तो हर व्यक्ति का जन्म होते ही वह अपने प्रारब्ध के चक्र से बंध जाता है और ज्योतिषशास्त्र द्वारा निर्मित जन्म कुंडली हमारे इसी प्रारब्ध को प्रकट करती है। हमारे जीवन में सभी घटनाएं बारह राशि व नवग्रह द्वारा ही संचालित होती हैं। इन ग्रहों का आपके जीवन पर आने वाले समय में कैसा प्रभाव पड़ेगा इसके बारे में विस्तृत जवाब जानने के लिए अभी आप भी कर्ज़ की समस्या से परेशान हैं, और उससे जुड़ा कोई व्यक्तिगत उपाय, निवारण जानना चाहते हों या इससे जुड़े किसी सवाल का जवाब चाहिए हो तो
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