मुख्यमंत्री ने अमर शहीद पिता-पुत्र के बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि
जबलपुर,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अमर क्रांतिकारी राजा शंकरशाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर प्रदेश की साढ़े नौ करोड़ जनता की ओर से उनके चरणों में श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि अब हर साल 18 सितम्बर को पिता-पुत्र के बलिदान दिवस का आयोजन राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यह बात आज यहां मालगोदाम गोंडवाना चौक में जनजातीय नायक अमर शहीद राजा शंकरशाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह के 166 वें बलिदान दिवस पर उनकी प्रतिमा पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रृद्धांजलि देने के बाद कही।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह ने क्रांति की ऐसी ज्वाला धधकाई, जिससे अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा। उन्होने कहा कि अपने देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले जनजातीय गौरव अमर शहीद पिता-पुत्र की पुण्य स्मृति को बनाये रखना हमारा पवित्र कर्तव्य और धर्म है। इसलिए राज्य सरकार अब हर साल 18 सितम्बर को राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस के आयोजन से संबंधित सभी जरूरी व्यवस्थाएं करेगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने गोंडवाना साम्राज्य के राजा शंकरशाह एवं रघुनाथशाह की बलिदान गाथा का पुण्य स्मरण करते हुए अमर शहीद पिता-पुत्र के सपनों को पूरा करने में जी-जान लगा देने का संकल्प लेने लोगों का आव्हान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत माता के पैरों से परतंत्रता की बेड़ियां काटने के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया कि पूरा मध्यप्रदेश अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए उठ खड़ा हुआ था। उन्हीं के त्याग और तपस्या की वजह से भारत देश अंग्रेजों से आजाद हुआ।
गोंडवाना साम्राज्य के राज परिवार को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भारत के रजवाड़ों में प्रथम बलिदानी होने का गौरव हासिल है, जिन्हें तोप के मुंह से बांधकर मृत्यु दण्ड दिया गया था।
इस अवसर पर विधायक सर्व श्री अजय विश्नोई, अशोक रोहाणी, नन्दनी मरावी, जिला पंचायत अध्यक्ष संतोष वरकडे़ सहित पूर्व मंत्री अंचल सोनकर, प्रभात साहू, सुभाष तिवारी रानू, अखिलेश जैन एवं शरद जैन, नगर निगम अध्यक्ष रिकुंजविज, किशोरीलाल भलावी, कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन सहित बड़ी संख्या में गोंड समाज के पदाधिकारी और ग्रामीण जन मौजूद रहे।
इसके पूर्व मालगोदाम गोंडवाना चौक स्थित शहीद राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमा स्थल पहुँचने पर मुख्यमंत्री श्री चौहान का परंपरागत आदिवासी गोंड करमा नृत्य से हार्दिक स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री श्री चौहान का गढ़ा गोंडवाना संरक्षण संघ की ओर से परंपरागत पगड़ी साफा और पीला गमछा भेंटकर सम्मानित किया गया।
तोप के मुंह पर बांधकर दिया मृत्युदंड
राजा शंकरशाह और उनके पुत्र रघुनाथ शाह ने आजादी की लड़ाई में देश के लिए उत्कृष्ट त्याग और बलिदान दिया। वे अंग्रेजी शासन की दमनकारी नीतियों के विरूद्ध अपने विचारों और कविताओं के माध्यम से भी लोगों में आजादी के लिए जोश व उत्साह भरते थे। उनकी कविताओं से अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह की आग सुलग उठी। डिप्टी कमिश्नर ई. क्लार्क ने गुप्तचर की मदद से पिता-पुत्र को 14 सितम्बर 1857 की शाम 4 बजे बंदी बना लिया। अगले तीन दिनों तक मुकदमें का नाटक करते हुए वीर सपूत राजा शंकरशाह एवं कुँवर रघुनाथ शाह को 18 सितम्बर 1857 को प्रात: 11 बजे तोप के मुंह पर बांधकर मृत्युदंड दे दिया।
संग्रहालय के रूप में विकसित हो रहा बंदी गृह
जनजातीय नायक राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को जहॉं अंग्रेजों ने 14 सितम्बर 1857 को गिरफ्तारी के बाद बंदी बनाकर रखा था और जहां उन्हें सजा सुनाई गई थी। उस कक्ष को संग्रहालय के रूप में विकसित किया जा रहा है।