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योग से भगायें रोग ,डॉ. एलएल अहिरवाल

जबलपुर :प्राचार्य शासकीय स्वशासी आयर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय ग्वारीघाट जबलपुर डॉ. एल.एल. अहिरवाल ने कहा कोरोना वायरस एक संक्रामक सर्वव्यापी महामारी रोग है। इसमें मुख्यत: श्वसन तंत्र से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति में कई लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे- खांसी, बुखार, सीने में जकड़ाहट, दर्द, शारीरिक दर्द, सांस लेने में परेशानी, गले में दर्द, नाक जाम हो जाना, स्वाद न मिलना, किसी भी वस्तु की गंध का अनुभव न होना, कम सुनाई देना, ठंड देकर बुखार, अतिसार दस्त, कमजोरी लगना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं। साथ-साथ इस महामारी में रोगी का मानसिक लेवल भी डगमगाता रहता है। इन सभी परेशानियों से बचने के लिये हम सभी को नियमित दिनचर्या एवं योग और आयुर्वेद का सहारा लेना चाहिये। जिससे व्यक्ति अस्पताल जाने से बच सकता है। दिनचर्या नियमित सुपोषण जलपान केवल इस हल्दी मिश्रित दुग्ध भाप का दिन में 3 बार सेवन तथा अणु तैल की 02-02 बूंद प्रत्येक नासिका में डाले।
उन्होंने कहा कि योग चिकित्सा द्वारा हमें अपने शरीर में रोगप्रतिरोधिक क्षमता को बढ़ृाने के लिये साथ ही फेफड़ों को मजबूत करने वाले आसन एवं प्राणायाम को करना चाहिये। जैसे सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से हमारे शरीर में डब्ल्यू बी.सी. की संख्या में बढ़ोत्तरी बनी रहती है। इसमें 12 आसन होते हैं।
जिसमें गोमुखासन – श्वास संबंधी रोगों में उपयोगी एवं उच्चरक्तचाप में, मण्डूकासन – रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में मदद करना है, भुजंगासन – फेफड़ों की ताकत को बढ़ता है, फेफड़े अच्छी तरह से कार्य करते हैं। भस्त्रिका प्राणायाम – रक्त संचार बढ़ता है व मष्तिष्क बलवान होता है तथा जठराग्नि तेज करता है। शरीर में ऊष्णता को बढ़ाता है। जिससे कफज विकारों को शांत करने में मददगार होता है साथ ही आक्सीजन अधिक मात्रा में शरीर में मिलने लगती है, जिससे हमें आक्सीजन की कमी महसूस नहीं होता है। कपालभांति – इस योग की शोधन क्रिया के द्वारा फेफड़े शुद्ध होते है श्वास संबंधी रोगों में लाभ एवं नासिका मार्ग साफ होता है। चेहरे पर तेज, चमक की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि योग एवं आयुर्वेद का अपनाये और कोरोना को देश-दुनियां से भगाये।



 

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