नाम बड़े और दर्शन छोटे:सिहोरा का 100 विस्तर का अस्पताल बना सिर्फ रिफर सेंटर,क्या यही है विकाश?

जबलपुर:मध्यप्रदेश में जिसकी भी सत्ता रही सभी ने जनता से यही वादा किया की हम जगह -जगह अस्पताल खुलवाएंगे डॉक्टरों की कमी नहीँ होने देंगे तमाम तरह के जनता से वादे किए गए लेकिन क्या वास्तव में सरकार ने अपने वादों को पूरा किया? या नहीँ इसका जीता जागता उदाहरण सिहोरा का 100 बिस्तरों का यह अस्पताल है, जहाँ पर हमेशा ही डॉक्टरों की कमी बनी रहती है, इस कमी को दूर करने के लिए वादे तो किये गए लेकिन आज भी अपनी ही समस्याओं से बीमार है सिविल अस्पताल, जिसको इलाज के लिए न तो भरपूर स्टॉप मिल पा रहा न ही आधुनिक मशीनरी,वैसे तो सिहोरा में जनता की मांग को देखते हुए सरकार ने 100 बिस्तर का अस्पताल तो बना दिया लेकिन सुविधायों के नाम पर यहाँ कुछ भी नहीँ है, कहने को तो 24 घँटे यहाँ पर इलाज किया जाता है लेकिन मशीनरी और मूलभूत सुविधाओं और डॉक्टरों के अभाव के चलते सौ बिस्तर का यह अस्पताल सिर्फ और सिर्फ रिफर सेंटर बनकर रह गया है, जो कभी स्टॉप की कमी से जूझता है तो कभी मशीनरी के अभाव में यहाँ पर मरीज परेसान होते है,
प्रतिदिन इलाज करवाने आते है यहाँ सैकड़ो मरीजों
वैसे तो सिहोरा से एनएच सड़क लगी होने से यहाँ पर आएदिन सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होकर इलाज के लिए मरीजों की लंबी कतार लगी रहती है तो वहीं सिहोरा सहित इसके समीपी तहसील मंझोली बहोरीबंद व उमरियापान कटनी तक के अधिकांश मरीज इलाज करवाने यहाँ पर आते है ,लेकिन नाम बड़े और दर्शन छोटे इस अस्पताल में भरपूर इलाज न मिलने से उन्हें जबलपुर रिफर कर दिया जाता है,
यहाँ पर अभी इन सुविधाओं का अभाव ,
सौ विस्तर के इस अस्पताल में न तो आई.सी.यू.बार्ड है ,न ही बेंटिलेटर,डिजिटल एक्सरे न ही सोनोग्राफी की कोई सुविधा है,न ही डॉक्टरों का भरपूर स्टॉप, नागरिकों ने इन सभी सुविधाओं की अस्पताल के लिए मांग की है,ताकि जो लोग इन सुविधाओ के अभाव में जबलपुर में परेसान होते है, उन्हें यहीं पर इलाज मिल सके,