चुनावजरा हटकेमध्य प्रदेश

जातिगत समीकरणों को लेकर नाराजगी बावूजद इसके इसी आधार पर प्रत्याशी चुने गये

(विशाल रजक )

*परिदृश्य दमोह संसदीय क्षेत्र(मतदान 6मई)

तेन्दूखेड़ा/दमोह!: दमोह संसदीय क्षेत्र का यह इतिहास बन गया है कि दोनों प्रमुख राजनीतिक दल जातिगत समीकरणों के आधार पर ही प्रत्याशी का चयन करते हैं हालांकि मतदाता से लेकर दोनों ही दलों के आम कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर नाराजगी रही है बावूजद इसके दोनों ही दलों ने इस बार भी जातिगत आधार पर ही प्रत्याशी का चयन किया गया है।भाजपा ने बहुत पहले अपने सिटिंग एमपी तथा टिकट के स्वाभाविक दावेदार प्रहलाद पटेल को रिपीट किये जाने की घोषणा कर दी थी प्रहलाद पटेल लोधी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं लंबे समय तक कांग्रेस की टिकट रुकी रही माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में पहुंचे कभी भाजपा के रहे रामकृष्ण कुसमरिया को दमोह से अवसर मिलेगा कारण कुसमरिया चार बार इस संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं और इतनी ही बार वो विधायक का भी चुनाव जीते जी कुसमरिया कुर्मी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं लंबे समय तक कुर्मी व लोधी समाज का पेंच प्रत्याशी चयन में बाधा बना रहा और जब लंबे समय बाद कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी की घोषणा की भी तो लोधी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व जबेरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रताप सिंह लोधी का नाम सामने आया।यहां बता दें कि 2014 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के इन्हीं प्रहलाद पटेल के खिलाफ कुर्मी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले चौधरी महेंद्र प्रताप सिंह को मैदान में उतारा था वो 2 लाख से अधिक मतों से प्रहलाद पटेल से चुनाव हारे थे लिहाजा तमाम दबावों के बावूजद इस बार कांग्रेस ने बड़ा दांव खेलते हुए लोधी वोट बैंक को बांटने प्रताप सिंह लोधी का नाम फाइनल किया दिलचस्प बात ये है कि विधानसभा चुनावों में भारी उलट फेर करते हुए एक सीट हासिल करने वाली बसपा अभी तक इस सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है
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*जातिगत समीकरण पर एक नजर*
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दमोह संसदीय क्षेत्र में कुल 1740000मतदाता है इनमें से 230000 लोधी 171000कुर्मी 106000 कुशवाहा 121000 यादव 81000 मुस्लिम 40000 राय 40000चौरसिया 80000 ब्राह्मण तथा करीब 209000 एससी व 141000 एसटी मतदाता है
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*प्रताप सिंह लोधी: उम्र बराबर लेकिन अनुभव उतना ज्यादा नहीं*
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दमोह जिले के मूलतः निवासी प्रताप सिंह लोधी के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि वे स्थानीय है उम्र में भी प्रहलाद पटेल के लगभग बराबर यानी 58 वर्ष के है करीब ढाई दशक का राजनीतिक अनुभव भी इनके पास है लेकिन इस मामले में प्रहलाद इन पर भारी है तीश बार जिला पंचायत संदस्या तथा जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा के अध्यक्ष रहने के साथ प्रताप सिंह जबेरा विधानसभा सीट से एक बार विधायक भी बश चुके हैं 2018 के चुनाव में इन्हें कांग्रेस ने पुनः जबेरा से ही मैदान में उतारा था लेकिन चुनाव हार गये थे
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*प्रहलाद पटेल : क्षेत्र में बने रहे लेकिन कोई उपलब्धी नहीं*
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नरसिंहपुर जिले के रहने वाले प्रहलाद पटेल चार बार सांसद रह चुके हैं पटेल अनुभवी राजनेता तो है ही प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केन्द्रीय राज्य मंत्री के पंद पर भी रहे नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे।59 वर्षीय प्रहलाद पटेल दूसरी बार दमोह संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं 2014 का चुनाव रिकार्ड मतों से जीतने वाले प्रहलाद पटेल की बड़ी उपलब्धी यह है कि वे बाहरी होने के बावजूद सतत दमोह संसदीय क्षेत्र में बने रहे लेकिन जनता यूं नाखूश है क्योंकि वे अपने संसदीय कार्यकाल में क्षेत्र के लिए कोई बड़ी उपलब्धी हासिल नहीं कर सकें

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