गौशालाओं की प्रगति की समीक्षा के दौरान जबलपुर कलेक्टर भरत यादव की सराहना
जिले की विशिष्टताओं और संसाधनों पर केन्द्रित कार्ययोजना बनाएं – प्रभांशु कमल
कृषि उत्पादन आयुक्त ने पशुपालन, मछली पालन व उद्यानिकी की समीक्षा की
जबलपुर: कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभांशु कमल ने कहा है कि जिले की विशिष्टताओं और उपलब्ध संसाधनों को समाहित करते हुए पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, मछली पालन और उद्यानिकी विभाग की हर जिले की अलग-अलग कार्ययोजना बनाएं। इस पर प्रभावी अमल करें ताकि ग्रामीणों और किसानों की आय में वृद्धि हो और वे समृद्धि की ओर बढ़ सकें। उन्होंने 15 दिनों के भीतर संभाग के सभी विकासखण्डों में विकासखण्ड स्तरीय पशु कल्याण समिति गठित करने के भी निर्देश दिए। श्री कमल आज यहां कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में रबी 2018-19 की समीक्षा और खरीफ 2019 के कार्यक्रम निर्धारण की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में अपर मुख्य सचिव पशुपालन मनोज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव मत्स्य पालन श्री राय, आयुक्त उद्यानिकी कवीन्द्र कियावत, संभागायुक्त राजेश बहुगुणा, नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीडी जुयाल, राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के डॉ भदौरिया सहित संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर्स, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और पशुपालन, मछली पालन एवं उद्यानिकी विभाग के जिला अधिकारी मौजूद थे। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि ग्रामीणों और किसानों की आय वृद्धि की दृष्टि से पशुपालन व दुग्ध उत्पादन में अच्छी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय पशु कल्याण समिति की तरह ही अब विकासखण्ड स्तर पर भी पशु कल्याण समिति का गठन 15 दिनों के भीतर कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने दुग्ध उत्पादन और प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता के मामले में सुधार की नसीहत देते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया कि हर जिले का पृथक प्रोजेक्ट बनाया जाए और उसी पर अमल किया जाए। दुग्ध उत्पादन मार्गों (मिल्क रूट) का नए सिरे से चयन करें और गांवों में दुग्ध सहकारी समिति गठित कर दूध संकलन की दिशा में कारगार प्रयास करें। उन्होंने पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए नस्ल संवर्धन हेतु कृत्रिम गर्भाधान पर जोर दिया। अपर मुख्य सचिव पशुपालन मनोज श्रीवास्तव ने कलेक्टर्स को निर्देशित किया कि गौशाला प्रोजेक्ट राज्य शासन की प्राथमिकता में शामिल है। जिला कलेक्टरों ने इस मामले में अच्छा काम भी किया है। अधिकांश जिलों में गौशालाओं के लिए स्थल चयन भी कर लिया गया है। उन्होंने बीमार पशुओं का पशुपालकों के घर वैन द्वारा डॉक्टर पहुंचाकर इलाज कराने के लिए शुरू की गई सेवा पशुधन संजीवनी और इसके टोल फ्री नंबर 1962 का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए।
जबलपुर कलेक्टर की सराहना
कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभांशु कमल और अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने गौशालाओं की प्रगति की समीक्षा के दौरान जबलपुर के कलेक्टर भरत यादव की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुरैना और ग्वालियर कलेक्टर रहते हुए गौशालाओं के स्थापना और समग्र विकास के मामले में “भरत” ने बेहतर काम किया है। उसी तर्ज पर सभी कलेक्टर कार्य करें। एपीसी श्री कमल ने कलेक्टर जबलपुर से कहा कि अब जबलपुर में भी व्यवस्थित और अच्छी गौशालाओं का निर्माण कराएं।
बैठक में वत्स उत्पादन, उन्नत पशु प्रजनन, बैकयार्ड कुक्कट विकास योजना, अनुदान के आधार पर बकरा, सूकर पालन, पशुओं के बधियाकरण, टीकाकरण और हितग्राहीमूलक योजनाओं की समीक्षा की।
मछली पालन विकास पर चर्चा के दौरान एपीसी प्रभांशु कमल ने अधिकारियों को मत्स्य उत्पादकता और मत्स्य पालन के रकबे में बढ़ोत्तरी के निर्देश दिए। प्रमुख सचिव मत्स्य पालन श्री राय ने कहा कि मत्स्योत्पादन के मामले में जबलपुर संभाग पूरे प्रदेश में अव्वल है। आजीविका आय उपार्जन एवं रोजगार सृजन की दृष्टि से मत्स्यपालन काफी संभावनाशील क्षेत्र है। मत्स्यपालन कर किसान प्रति एकड़ 8 से 10 लाख रूपए तक प्रतिवर्ष कमा सकता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारी योजनाओं से बनने वाले तालाबों को कम से कम 5 से 6 फीट गहरा जरूर बनवाएं। ताकि इन जल संरचनाओं में भी मछलीपालन किया जा सके। प्रमुख सचिव मछली पालन ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी पात्र मछली पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड दिलाना सुनिश्चित करें। साथ ही हर विकासखण्ड में एक मॉडल मछली पालक तैयार करें जिसे देखकर अन्य लोग भी प्रेरित हो सकें। उन्होंने फिश फीड प्लांट लगाने पर अनुदान मुहैया कराने के प्रावधान का भी अधिकाधिक लोगों को लाभ प्रदान करने के निर्देश दिए।
उद्यानिकी विभाग की समीक्षा के दौरान एपीसी ने कहा कि इस क्षेत्र में विकास की असीम संभावनाएं हैं, इस दिशा में ठोस कार्य करें। बैठक में सब्जी मसाला कार्यक्रम, राज्य वित्त पोषित योजना, टिश्यू कल्चर लैब के पौधों की समीक्षा हुई। एपीसी ने कहा कि कार्ययोजना जिला स्तर से ही तैयार की जाती है, इसलिए जिला स्तर पर उद्यानिकी क्षेत्र की उपलब्धि हासिल करने कोई समस्या नहीं आनी चाहिए।
बैठक में कुलपति डॉ पीडी जुयाल ने पशुओं के लिए प्रोस्थेटिक लिम्ब (कृत्रिम अंग), पंचगव्य यूनिट, मेरा गांव-मेरा गौरव, प्रान पालन, उन्नत भारत अभियान, बकरीपालन और मछलीपालन के संबंध में विस्तृत प्रकाश डाला। एपीसी ने सभी कलेक्टर्स को निर्देशित किया कि वे विश्वविद्यालय के सतत् संपर्क में रहकर जिले के पशुपालक, दुग्ध उत्पादक और मछली पालकों को लाभांवित करें।